नई दिल्ली: समंदर में दुश्मनों को दहलाने के लिए जल्द ही आईएनएस ‘वागशीर’ सबमरीन नौसेना में शामिल होगी। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि पी75 स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट के तहत छठी पनडुब्बी वागशीर को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) पर 20 अप्रैल को लॉन्च किया जाएगा।
इसके शामिल होने से नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी। इसमें लगे 40 फीसदी उपकरण भारत निर्मित हैं। प्रोजेक्ट 75 की पांचवीं पनडुब्बी वागीर का समुद्र में परीक्षण फरवरी 2022 में शुरू हुआ।
एक अधिकारी का कहना है कि 20 अप्रैल को लॉन्च होने के बाद वागशीर पनडुब्बी का 12 महीने तक समुद्र में परीक्षण होगा। इसके बाद इसे नौसेना में शामिल किया जाएगा। वागशीर पनडुब्बी की आंतरिक तकनीक फ्रांसीसी और स्पेनिश कंपनी द्वारा दी गई है जबकि निर्माण भारतीय शैली में किया गया है।
नौसेना की युद्ध क्षमता बढ़ाने वाली प्रोजेक्ट75 के तहत यह आखिरी पनडुब्बी है। इससे पहले इस प्रोजेक्ट के तहत आईएनएस कलावरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज और आईएनएस वेला नौसेना में शामिल हो चुकी हैं जबकि आईएनएस वागीर का समुद्री परीक्षण चल रहा है।
वागशीर की खासियत
यह स्कॉर्पीन यान कलावरी क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है।
यह अत्याधुनिक नेविगेशन, ट्रैकिंग सिस्टम से लैस है।
इसमें कई तरह के हथियारों को भी शामिल किया गया है।
कम शोर से दुश्मन को आसानी से गुमराह करने की क्षमता के साथ 18 टॉरपीडो रखने की क्षमता है।
छह टॉरपीडो एक साथ दुश्मनों की ओर छोड़े जा सकते हैं।
जहाज रोधी मिसाइलें पनडुब्बी की खासियत है।
यह 50 दिनों तक पानी में रह सकती है।
युद्धपोतों की जरूरतों के लिए 50 मरीन हेलिकॉप्टर तैयार करने पर हो रहा विचार
रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के तहत नौसेना और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) बल की युद्धपोत जरूरतों को पूरा करने के लिए एक नए यूटिलिटी हेलिकॉप्टर (मैरीन) विकसित करने पर विचार कर रहे हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि यदि तैयार किए जा रहे उन्नत हल्के हेलिकॉप्टर ध्रुव का नया संस्करण कामयाब रहता है तो नौसेना ऐसे 50 हेलिकॉप्टरों का आर्डर देगी। इससे नौसेना को गहरे समुद्र में अपने युद्धपोतों पर हेलिकॉप्टरों की तैनाती में मदद मिलेगी।
सूत्रों का कहना है कि एचएएल के फोल्डेबल रोटर्स के विकास में सफलता के दावों के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के हेलिकॉप्टर विभाग में हेलिकॉप्टरों को बनाने का काम शुरू किया गया है। युद्धपोतों में जगह की कमी के चलते दुनियाभर की नौसेनाओं को हेलिकॉप्टरों और विमानों को फोल्डेबल विंग्स की जरूरत पड़ती है। इससे युद्धपोत पर अधिक हेलिकॉप्टर या विमान पार्क किए जा सकते हैं। फ्रिगेट और डिस्ट्रॉयर में पार्किंग की जगह अपेक्षाकृत कम होती है और यूटिलिटी हेलिकॉप्टर मैरीन के फोल्डेबल रोटर उन्हें आसानी से रखने देते हैं।
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