रमजान का 13वां रोजा शुक्रवार को पूरा हुआ। भरी गर्मी और चिलचिलाती धूप भी रोजेदारों को परेशान नहीं कर पा रही है। युवाओं और बुजुर्गों के साथ-साथ मासूम बच्चे भी शिद्दत की गर्मी में रोजा रखकर इबादत कर रहे हैं। रोजा मुसलमानों पर फर्ज है। अप्रैल और मई का महीना सबसे गर्म होता है। पिछले साल रमजान आधे अप्रैल और आधे मई में पड़ा था। इस बार रमजान का महीना अप्रैल महीने में पड़ा है। इस बार ज्यादा गर्मी है। तेज चिलचिलाती धूप के साथ ही दोपहर में गर्म हवाएं भी चलने लगी है। लेकिन ये गर्मी और तपिश मुस्लिम समाज के बच्चों के हौसले को कम नहीं कर पायी।
छोटे-छोटे मासूम बच्चे छुट्टी के दिन रोजा रखने में पीछे नहीं हैं। तड़के 3 बजे जब घर के लोग सेहरी करने के लिए उठते हैं तो बच्चे भी उठ जाते हैं। गर्मी को देखते हुए परिजन अवश्य ही उन्हें रोजा रखने से मना करते हैं लेकिन बच्चे मानते ही नहीं है। सेहरी करने के बाद सभी नमाज अदा करते हैं कुरआन की तिलावत करते हैं। इसके बाद सो जाते हैं 11 बजे तक उठने के बाद वे लोग अपने स्कूल की पढ़ाई भी करते हैं।
कुरआन की तिलावत भी
छोटे मासूम बच्चे कुरआन की तालीम भी घर पर ही पूरी कर रहे हैं। रमजान के महीने में मदरसा बंद होता है। सभी लोग इबादत में मशरूफ होते हैं इस वजह से बच्चों को कुरआन की तालीम घर पर ही लेनी पड़ती है। घर के बड़े बुजुर्ग कुरआन पढ़ते समय बच्चों को साथ बिठा लेते हैं और उनकी भी पढ़ाई पूरी करा रहे हैं। इस तरह से बच्चों को दीन और दुनिया दोनों की तालीम साथ-साथ मिल रही है।
पूरे जोश के साथ करते है इफ्तार
दिन भर भूख और प्यास सहन करने वाले बच्चे जब शाम काे इफ्तार करने के लिए दस्तरखान पर बैठते हैं तो चेहरे पर जरा भी शिकन नजर नहीं आती है। वे खुशी-खुशी इफ्तार करते हैं और शाम की इबादत में जुट जाते हैं।
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