आम तौर पर अभी सभी घरों में काली ईंट यानी फ्लाई ऐश वाली ईंट लग रही है। इसकी कीमत भी 20 से 30 पैसा तक बढ़ गई है। अभी एक ईंट की कीमत बाजार में 3.20 रुपए तय है। सीमेंट, सरिया और फ्लाई ऐश की कीमत एक साथ बढ़ जाने की वजह से मकान बनाने की लागत भी बढ़ गई है। 3 साल पहले तक सामान्य ठेकेदार 700 रु. वर्गफीट (मटेरियल सहित) में मकान बनाने का ठेका लेते थे, लेकिन अभी यही ठेका न्यूनतम 1000 रु. वर्गफीट में तय हो रहा है।
ज्यादातर ठेकेदार अभी भी 1100 रु. प्रति वर्गफीट की डिमांड कर रहे हैं। यह रकम मकान का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में खर्च हो रही। फैक्ट्रियों में उत्पादन, सप्लाई और बाजार में डिमांड सबकुछ सामान्य होने के बावजूद सीमेंट की कीमत अचानक बढ़ा दी गई। इससे मकान बनाने वाले लोग खासे परेशान हो रहे हैं। सीमेंट, सरिया और ईंट की कीमत बढ़ने से मकानों की कंस्ट्रक्शन कॉस्ट भी दोगुना बढ़ गई है।
बड़े बिल्डरों की माने तो 2 बीएचके वाला फ्लैट की कीमत पहले 15 से 18 लाख तक होती थी, लेकिन अभी यही फ्लैट 18 से 22 लाख तक में बिक रहे हैं। शहरी लोकेशन वाले फ्लैट की कीमत और ज्यादा है। आउटर में बन रहे मकानों की कीमत इससे थोड़ी कम है।
मटेरियल वही फिर भी बढ़ गया खर्चा
एक हजार वर्गफीट के मकान का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में पहले जो सामान लगाए जाते थे, उस पर लगभग 6-7 लाख का खर्चा आता था। लेकिन अब इस पर करीब 10 लाख का खर्च आ रहा है। इसमें लोहा, सीमेंट, ईंट, रेत, सेनेटरी आइटम, लोहे के ग्रिल, नल फिटिंग, टाइल्स का काम शामिल है।
इसके अलावा अगर घर में पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) का काम करवाना है तो करीब 100 रुपए वर्गफीट का खर्च और बढ़ जाता है। 1000 रुपए वर्गफीट में काम करने वाला ठेकेदार 1100 रुपए चार्ज करता है। मकान बनाने वाले ठेकेदारों का कहना है कि लेबर कास्ट 2 से 3 गुना बढ़ गया है।
सीमेंट के अभी बढ़े दामों से रुकेंगे प्रोजेक्ट्स
बड़े कॉलोनाइजर्स का कहना है कि अभी जितने दामों में हम फ्लैट्स बेच रहे हैं, उसी में मकान नहीं बिक रहे हैं। राजधानी में सैकड़ों प्रोजेक्ट्स में इसी कारण देर हो रही है। ऐसे में अब जब सीमेंट की कीमत 50 रुपए बढ़ गई है, तो इसका असर आने वाले प्रोजेक्ट्स पर पड़ना तय है। लोग इंतजार करेंगे कीमत कम होने का या फिर अपने मकान के दामों को बढ़ाएंगे। दोनों सूरतों में नुकसान आम आदमी का होना तय है।
करोना और लॉकडाउन काअसर अब तक बता रहे
2 साल पहले कोरोना और लॉकडाउन की वजह से फैक्ट्रियों में उत्पादन आधे से भी कम हो गया था। उस समय प्रोडक्शन लगभग बंद था। इस वजह से कीमत भी स्थिर थी। 2 साल पहले आम लोगों को सरिया 45 से 50 रुपए किलो में मिल जाता था। लेकिन अभी सरिया 75 से 80 रुपए किलो में बिक रहा है।
शहर के बड़े उद्योगपतियों का कहना है कि 2 साल पहले के संकट का असर अभी तक है। इस वजह से कीमत बढ़ रही है। 2 साल तक फैक्ट्रियों और उद्योगों को जबर्दस्त नुकसान हुआ है। अब उससे उबरे तो कच्चे माल की कीमत बढ़ गई है। इस वजह से सरिया की कीमत बढ़ गई। सीमेंट फैक्ट्री वालों का कहना है कि लेबर और ट्रांसपोर्टिंग का खर्चा इतना बढ़ रहा है कि कीमत बढ़ाना मजबूरी है। इस वजह से कीमत बढ़ा रहे हैं।
सभी चीजों की कीमत बढ़ी इसलिए मकान बनाना महंगा
छत्तीसगढ़ आर्किटेक्ट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नवीन शर्मा ने बताया कि मकान बनाने के लिए सबसे उपयोग सरिया, ईंट, सीमेंट और रेत की कीमत बढ़ी हुई है। इस वजह से मकान बनाना महंगा हो गया है। इसके अलावा सेनेटरी आइटम, टाइल्स और पीओपी की कीमत भी बढ़ गई है।
इस वजह से 1000 वर्गफीट मकान बनाने के लिए पहले जहां 7 से 8 लाख रुपए खर्च होते थे अभी इसी मकान को बनाने में 10 से 13 लाख रुपए तक खर्च हो जाते हैं। 2 साल पहले की तुलना में लेबर कास्ट दोगुना हो गया है। सीमेंट और टाइल्स में जीएसटी सबसे ज्यादा 28 फीसदी है। इन दोनों चीजों में जीएसटी कम से कम 18 फीसदी तो होनी ही चाहिए। इससे मकान बनाने की लागत थोड़ी कम होगी।
Add Comment