रंगों का त्योहार होली (Holi 2022) देश भर में बहुत धूम-धाम और खास अंदाज में सेलिब्रेट किया जाता है. बच्चों के साथ-साथ बड़ों पर भी होली का खुमार कुछ दिनों पहले सी ही चढ़ जाता है. लेकिन, गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) के मन में अक्सर ये सवाल उठता रहता है कि क्या उन्हें होली खेलनी चाहिए. प्रेग्नेंसी के किस तिमाही में होली खेलना नुकसानदायक और सुरक्षित होता है. दरअसल, होली में काफी दौड़-भाग, शारीरिक रूप से एक्टिव रहना पड़ता है. काफी भीड़-भाड़ में यह त्योहार सेलिब्रेट किया जाता है, ऐसे में आप प्रेग्नेंट हैं, तो आपके लिए जरा सी भी लापरवाही आपके साथ ही गर्भ में पल रहे शिशु (Fetus) के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है. बेहतर है कि आप होली के दिन इन बातों (Holi safety tips during pregnancy) का ध्यान जरूर रखें.
पहली और तीसरी तिमाही में संभलकर खेलें होली
यदि आप होली खेलना चाहती हैं, तो पहली और तीसरी तिमाही में संभलकर ही होली खेलने घर से बाहर जाएं. अधिक दौड़-भाग करने और भीड़-भाड़ में जाने से बचें. कोशिश करें कि आप अपने घर की बालकीन या छत पर एक-दूसरे को रंग लगाएं. अपने शरीर को अधिक झटका देने से बचें. पहली तिमाही में अधिक भाग-दौड़ करने से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है. होली के दिन त्वचा पर तेल या कोई मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं, ताकि रंगों को साफ करना आसान हो जाए. इससे हानिकारक केमिकल्स त्वचा के जरिए शरीर के अंदर अवशोषित नहीं होंगे.
प्रेग्नेंसी में कौन सा रंग है बेहतर
बेबीसेंटर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि आप गर्भवती हैं, तो हानिकारक केमिकल युक्त होली कलर्स लगाने से बचें. नेचुरल रंगों को कई तरह के ऑर्गैनिक सामग्री, हर्बल या वेजिटेबल डाईज से तैयार किया जाता है. इनसे होली खेलना सुरक्षित होता है. केमिकल युक्त रंगों में कई तरह के इंडस्ट्रियल डाइज, केमिकल्स, हेवी मेटल्स मौजूद होते हैं, जो आपके साथ ही आपके शिशु के लिए भी हानिकारक साबित हो सकते हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान आपकी इम्यूनिटी बहुत अधिक स्ट्रॉन्ग नहीं होती है. इसके अलावा, त्वचा भी काफी संवेदनशील हो जाती है, ऐसे में इन हानिकारक रंगों का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें.
छोटे बच्चों के लिए भी रंग होते हैं नुकसानदायक
यदि आपका बच्चा 6 महीने से छोटा है, तो उसे भी होली कलर्स ना लगाएं, क्योंकि बच्चों की त्वचा बहुत नाजुक होती है और इम्यून सिस्टम भी अपरिपक्व होती है. हानिकारक रंगों की बजाय शिशु की त्वचा पर आप लाल चंदन का टीका लगा सकते हैं.
होली कलर्स के नुकसान
होली कलर्स कई रंगों में मिलते हैं, जैसे लाल, हरा, गुलाबी, पिंक, नीला, पर्पल आदि. इन सभी रंगों को बनाने के लिए कई तरह के केमिकल्स जैसे मरकरी सल्फाइट, लेड ऑक्साइड, कॉपर सल्फेट, क्रोमियम आयोडाइड, एल्यूमिनियम ब्रोमाइड, निक्केल, जिंक, आयरन, मिका, ऑक्सिडाइज्ड मेटल्स, पर्मानेंट केमिकल डाईज आदि का इस्तेमाल किया जाता है. यदि त्वचा पर ऑक्सिडाइज्ड मेटल्स, पर्मानेंट केमिकल डाईज युक्त रंग देर तक लगे रहे गए, तो ये कई दिनों तक स्किन से हटते नहीं हैं. केमिकल युक्त रंगों से होली खेलने से स्किन इर्रिटेशन, स्किन एलर्जी, रेन फेलियर, स्किन कैंसर, डर्मटाइटिस, आंखों का लाल होना, आंखों में एलर्जी, बुखार, अस्थमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
रंगों में मौजूद मरकरी, लेड प्लेसेंटा में पहुंचकर शिशु के विकास, नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने के साथ ही दिव्यांगता का कारण बन सकते हैं. लेड ऑक्साइड गर्भपात, जन्म के समय शिशु का वजन कम होना, समय से पहले शिशु का जन्म होने का कारण बन सकता है.
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