चंडीगढ़। चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि मौत लिंग नहीं देखती, महिलाओं को हेलमेट से छूट क्यों दी गई है। हाईकोर्ट ने छूट देने पर हरियाणा, पंजाब और यूटी को फटकार लगाई है। महिलाओं के लिए हेलमेट अनिवार्य न होने पर हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और यूटी को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या मौत लिंग देखकर आती है या कोई गारंटी है कि महिलाओं का एक्सीडेंट नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि सबकी जान की कीमत बराबर होती है महिलाओं की खोपड़ी पुरुषों से अलग नहीं होती। यूटी प्रशासन ने इस पर जवाब केलिए समय मांगा। हाईकोर्ट ने हरियाणा और पंजाब में हेलमेट पहनने वालों की संख्या 10 प्रतिशत के बराबर बताते हुए कहा कि क्यों सख्ती से नियमों को लागू नहीं किया जा रहा है।
दोनों को अगली सुनवाई पर हेलमेट के किए गए चालानों का ब्यौरा सौंपने के आदेश दिए हैं। यह ब्यौरा न देने पर अगली सुनवाई पर डीजीपी को हाजिर रहने को कहा है। जस्टिस एके मित्तल एवं जस्टिस अमित रावल की खंडपीठ कोर्ट के एक लॉ रिसर्चर अनिल सैनी द्वारा महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य बनाने की मांग को लेकर चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र को संज्ञान में लेकर सुनवाई कर रही है। पत्र में सैनी ने चंडीगढ़ के एरोमा होटल के सामने कुछ दिन पहले एक स्कूटी और हरियाणा रोडवेज की बस एक्सीडेंट का जिक्र किया है। हाईकोर्ट से मांग की गई है कि जो महिलाएं खासतौर पर सिख महिलाएं जो पगड़ी नहीं पहनती हैं उनके लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य किया जाना बेहद ही जरूरी है। इसके लिए मौजूदा मोटर व्हीकल एक्ट में जरूरी बदलाव की मांग भी की गई है।
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