कोविड-19 महामारी का प्रभाव भले ही शुरुआती दिनों की अपेक्षा अब थोड़ा कम दिख रहा हो. लेकिन इसके पूरी तरह खत्म होने की संभावना अभी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही. खास तौर पर तब जब दुनिया भर में इससे जान गंवाने वालों का आंकड़ा सोमवार को 60 लाख के पार पहुंच गया.
कोरोनावायरस से जान गंवाने वालों का यह आंकड़ा इसकी कमजोर न पड़ने वाली प्रकृति को दर्शाता है. वह भी ऐसे समय में जब दुनियाभर में लोग मास्क का प्रयोग कम करते नजर आ रहे हैं और यात्राएं फिर से शुरू हो रही हैं और कारोबार व दफ्तर भी खुल रहे हैं.
अमेरिका के जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी द्वारा संयोजित आंकड़ों के मुताबिक महामारी से बीते चार महीनों में ही 10 लाख लोगों की जान गई है. यह दर्शाता है कि कई देश अब भी कोरोनावायरस से जूझ रहे हैं. अपने अलग-थलग होने के कारण काफी समय तक वायरस से सुरक्षित रहे सुदूर प्रशांत द्वीप समूहों में भी अब वायरस का शुरुआती प्रकोप नजर आ रहा है और ये संक्रमण और इससे होने वाली मौतों से जूझ रहे हैं. इसमें अत्यधिक संक्रामक ओमीक्रोन वेरिएंट से होने वाला संक्रमण भी शामिल है.
पूर्वी यूरोपीय देशों में मृत्यु दर अधिक
संक्रमण से होने वाली मौत के बढ़ते मामलों से जूझ रहा हांगकांग इस महीने अपनी 75 लाख की कुल आबादी का तीन बार टेस्टिंग कर रहा है, क्योंकि यह मुख्य भूमि चीन की जीरो-कोविड पॉलिसी से जुड़ा हुआ है. पोलैंड, हंगरी, रोमानिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों में मृत्यु दर उच्च बनी हुई है. वहीं अब इस क्षेत्र में युद्धग्रस्त यूक्रेन से 15 लाख से अधिक शरणार्थी भी पहुंचे हैं. ऐसे में संक्रमण के बढ़ने की आशंका ज्यादा है. यूक्रेन एक ऐसा देश जहां वैक्सीनेशन की कमी है और मामलों और मौतों की दर उच्च है.
अमेरिका महामारी से अपने यहां करीब 10 लाख लोगों की जान जाने की बात कह रहा है जो दुनिया में किसी देश में महामारी से मौत का सबसे बड़ा आधिकारिक आंकड़ा है. दुनिया भर में अब तक कोविड-19 के कुल 45 करोड़ से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं. दुनियाभर में कोविड से निपटने के लिए तेजी से वैक्सीनेशन किया जा रहा है. अफ्रीका के गरीब मुल्कों तक वैक्सीन पहुंचाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है. इस वजह से उम्मीद है कि जल्द ही वायरस का प्रभाव कम हो जाएगा.
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