प्रदेश में सामने आए पीएफ घोटाले की तरह ही कोरिया जिले में एसईसीएल ठेका श्रमिकों के सीएमपीएफ राशि में बड़ी गड़बड़ी हुई है। जिलेभर के एसईसीएल इकाइयों में कार्यरत करीब 5 हजार ठेका श्रमिकों का पीएफ वेतन से हर माह सवा 2 करोड़ काटा जा रहा है, लेकिन यह राशि सीएमपीएफ खाते में जमा नहीं हो रही है।
हैरानी की बात तो यह है कि श्रमिकों को दिया गया, सीएमपीएफ नंबर ही फर्जी मिला है। श्रमिक नौकरी के बाद सीएमपीएफ राशि निकालने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन मृत्यु के बाद भी उन्हें सीएमपीएफ से रुपए नहीं मिल रहे हैं। दैनिक भास्कर ने मामले की पड़ताल की तो ऐसे कई श्रमिक खुलकर सामने आए जो पीएफ राशि के लिए भटक रहे हैं। अकेले चरचा कॉलरी क्षेत्र की बात करें तो यहां ठेका श्रमिक पिछले सात साल से ईपीएफ में जमा होने वाली राशि को लेकर चिंतित हैं।
पीएफ के नाम पर वेतन से हर माह रुपए काटे जा रहे हैं, लेकिन रुपए कहां और किस खाते में जमा हो रहे हैं, इसकी जानकारी श्रमिकों को नहीं दी जा रही है। श्रमिकों के सवालों का जवाब देने में एसईसीएल के अधिकारी भी बच रहे हैं। उनका कहना है कि श्रमिक अपने ठेकेदार से मिलकर इसकी जानकारी लें। इधर श्रमिकों का कहना है कि चरचा आरओ में हर माह 400 ठेका श्रमिकों के 12 लाख रुपए के पीएफ का गबन हो रहा है।
जांच कमेटी बनाकर ही रोक सकते हैं हेराफेरी
कुछ ठेकेदार एसईसीएल के कई क्षेत्रों में काम करते हैं। वे एक जगह जमा की सीएमपीएफ राशि के कागजातों को दूसरी जगह जमा कर अपने बिल का भुगतान करा लेते हैं, लेकिन वास्तव में दूसरे स्थानों पर कार्यरत ठेका कर्मचारियों के सीएमपीएफ खातों में ठेकेदारों द्वारा की गई इस हेराफेरी के चलते राशि जमा ही नहीं हो पाती, लेकिन यह सब काम इतनी बारीकी और चालबाजी से किया जाता है कि किसी क्षेत्रीय या एसईसीएल स्तर पर विशेष जांच कमेटी बनाकर ही पकड़ा जा सकता है।
पे-स्लीप में पीएफ की कटौती की बात
श्रमिकों को जारी होने वाले पे-स्लीप में पीएफ राशि की कटौती को दर्शाया जा रहा है। श्रमिकों को बाकायदा सीएमपीएफ नंबर भी अलॉट किया गया है, लेकिन इसके खाते में रुपए जमा नहीं हो रहे हैं। श्रमिक पीएफ के कुल जमा राशि के साथ उस पर मिलने वाले 8 प्रतिशत के ब्याज से भी वंचित हैं। श्रमिक पीएफ के कुल जमा राशि के साथ उस पर मिलने वाले 8 प्रतिशत के ब्याज से भी वंचित हैं।
ठेकेदार कर रहे श्रमिकों की राशि की हेराफेरी
यह खेल सात साल से चल रहा है। ठेकेदार इनके वेतन से राशि की कटौती तो करता है, लेकिन राशि जमा संबंधित श्रमिक के खाते में जमा नहीं कराता। इससे श्रमिकों को दोहरा नुकसान हो रहा है। एक तो उनकी मूल राशि की कटौती कर उन्हें कोल इंडिया हाई पावर कमेटी के निर्धारित वेतन मान से कम वेतन दे रहे हंै। दूसरा पीएफ राशि में श्रमिकों की हिस्सेदारी के साथ ठेकेदार को भी अपने हिस्से की राशि श्रमिकों के लिए जमा करानी होती है, जो कि उन्हें नहीं मिल रही है।
गड़बड़ी नहीं, सीएमपीएफ पासबुक अपडेट करा रहे
क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक हरेंद्र तिवारी ने कहा सीएमपीएफ की राशि में गड़बड़ी का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि पर्सनल विभाग ठेका श्रमिक को मिलने वाले वेतन व पीएफ, पेंशन की राशि की जांच करने के बाद ही ठेकेदार के बिल का भुगतान करता है। श्रमिकों का सीएमपीएफ पासबुक व खाता अपडेट होता है। उन्होंने बताया कि ईपीएफ ऑनलाइन है, लेकिन सीएमपीएफ ऑनलाइन सक्सेस नहीं हुआ है, इसलिए ऑनलाइन में राशि नहीं दर्शा रही है। उन्हाेंने कहा कि श्रमिकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।
आरोप: श्रमिकों को 787 रुपए की हाजिरी, पीएफ बढ़ाकर काट रहे कोल इंडिया के हाई पावर कमेटी द्वारा कांट्रेक्ट लेबर के लिए निर्धारित नए सर्कुलर अनुसार नए दर में बेसिक वेतन व बीडीए की राशि को जोड़कर अकुशल श्रमिक को 939 रुपए, अर्द्ध कुशल को 975, कुशल को 1010 रुपए व उच्च कुशल को 1046 की दर से वेतन देना है, लेकिन श्रमिकों का कहना है कि सभी को पुरानी दर पर अकुशल श्रमिक के दर से 787 रुपए रोजाना के हिसाब से वेतन का भुगतान किया जा रहा है। कम वेतन पर पीएफ दर बढ़ाकर राशि काटी जा रही है, लेकिन हर महीने काटे जाने वाले 3-4 हजार रुपए कहां जमा हो रहा है, यह नहीं मालूम।
हेड ऑफिस ने बताया खाता खुला नहीं
ग्राम बुढ़ार निवासी इंद्रेश साहू ने बताया वे चरचा वेस्ट में ठेका श्रमिक थे। 2019 में साईटिका बीमारी होने से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सीएमपीएफ राशि निकालने क्षेत्रीय कार्यालय के माध्यम से आवेदन किया, लेकिन राशि नहीं मिली। एसईसीएल के अफसरों ने पहले लॉकडाउन को देरी का कारण बताया, लेकिन जब इंद्रेश बिलासपुर हेड ऑफिस गए तो वहां मालूम चला कि सीएमपीएफ नंबर जेबीपी/73/एसडीवाई/331/1365 का सीएमपीएफ खाता खुला ही नहीं है। गड़बड़ी सामने आने के बाद अधिकारी मामले को दबाने में लगे हैं। उन्होंने एक सप्ताह पहले इंद्रेश से दोबारा फाॅर्म भरवाया है।
सीएमपीएफ का खाता ऑनलाइन नहीं
चरचा विवेकानंद कॉलोनी निवासी कोल माइंस ठेकेदारी मजदूर संघ के अध्यक्ष अमरनाथ साहू ने बताया उनके पास 68 ठेका श्रमिकों की सीएमपीएफ नंबर के साथ सूची है। ठेका श्रमिक सीएमपीएफ खाते में जमा राशि की जानकारी ऑनलाइन लेना चाह रहे हैं, लेकिन किसी का खाता सीएमपीएफ में ऑनलाइन नहीं दर्शा रहा है। श्रमिकाें के वेतन से काटी जा रही राशि कहां जमा हो रही है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने बताया कि ठेका श्रमिकों को कोल इंडिया हाई पावर कमेटी द्वारा निर्धारित वेतन मान से कम वेतन मिल रहा है। इसे लेकर भी श्रमिक लगातार वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
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