प्रदेश के बहुचर्चित झीरम घाटी हत्याकांड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की याचिका पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले शासन की ओर से कहा गया कि झीरम घाटी हत्याकांड वृहद राजनीतिक षडयंत्र है, जिसकी जांच NIA ने नहीं की है।
वहीं, हस्तक्षेप याचिकाकर्ता जितेंद्र मुदलियार के अधिवक्ता ने कहा कि NIA एक्ट का प्रावधान मात्र एक अपवाद है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस आरसीएस सामंत और जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की डिवीजन बेंच में पिछले दो दिन से चल रही थी।
इससे पहले सोमवार को NIA की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल सालिसिटर जनरल विक्रम जीत बनर्जी और हाईकोर्ट के असिस्टेंट सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने बहस की। उन्होंने NIA एक्ट का हवाला देकर तर्क प्रस्तुत किया। कहा कि जिस मामले की NIA जांच कर चुकी है, उस पर राज्य शासन को जांच करने का अधिकार नहीं है। अगर, जांच का कोई बिंदु है तो उसे NIA के समक्ष रखा जा सकता है। उनकी बहस पूरी होने के बाद बुधवार को शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील ओटवानी ने पक्ष रखा।
शासन की ओर से कहा गया- ट्रायल कोर्ट को केस ट्रांसफर का अधिकार नहीं
महाधिवक्ता ओटवानी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को इस केस को ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं था। प्रावधान के अनुसार एक FIR को दूसरे प्रकरण में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि झीरम घाटी हत्याकांड वृहद राजनीतिक षडयंत्र है, जिस पर NIA ने जांच नहीं की है। यही वजह है कि इस मामले में राज्य पुलिस ने अलग से अपराध दर्ज किया है।
वहीं दूसरी ओर हस्तक्षेपकर्ता व पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने वाले जितेंद्र मुदलियार की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव बहस की। उन्होंने NIA एक्ट को अपवाद बताया। साथ ही कहा कि किसी भी अपराध की जांच का जिम्मा राज्य पुलिस को होता है। NIA किसी विशेष प्रकरण की ही जांच कर सकती है। सभी पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने आर्डर रिजर्व रखा है।
हाईकोर्ट ने लगाई है पुलिस की FIR पर रोक
प्रदेश में कांग्रेस के सरकार बनने के बाद झीरम घाटी हत्याकांड में दिवंगत हुए उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाने में साल 2020 में हत्या और षडयंत्र का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है। पुलिस में दर्ज इस आपराधिक प्रकरण को NIA जगदलपुर की विशेष अदालत में चुनौती दी है।
केस को NIA को सौंपने की मांग भी की है, लेकिन, विशेष अदालत ने आवेदन को खारिज कर दिया। इस फैसले के खिलाफ NIA ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ही हाईकोर्ट ने इस प्रकरण की जांच पर रोक लगा दी थी, तब से मामले की सुनवाई लंबित है।
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