रायपुर। मुख्य सचिव अजय सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय (महानदी भवन) में राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में संचालित हो रहे मध्यान्ह भोजन योजना के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए गठित राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग सह संचालन समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए कुल 647 करोड़ 81 लाख 44 हजार रूपए की वार्षिक कार्ययोजना का अनुमोदन किया गया। प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया।
राज्य के सूखा प्रभावित 96 तहसीलों के कुल 28 हजार 990 स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों में भी मध्यान्ह भोजन प्रदाय किए जाने का प्रस्ताव शामिल किया गया है। मध्यान्ह भोजन योजना के संचालन के लिए चावल के वितरण के तर्ज पर दाल के केन्द्रीयकृत वितरण के लिए नागरिक आपूर्ति निगम को नोडल ऐजेंसी बनाए जाने पर भी विचार किया गया। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मुख्यमंत्री अमृत योजना का क्रियान्वयन पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में राज्य के दो जिलों-कबीरधाम और बस्तर में किया जा रहा है।
योजना के तहत सप्ताह के एक दिन बच्चों को सुगंधित सोया दूध का वितरण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री अमृत योजना का विस्तार राज्य के अन्य जिलों में किए जाने के प्रस्ताव पर चर्चा किया गया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जिला स्तर पर मध्यान्ह भोजन योजना की गुणवत्ता में और सुधार लाने स्थानीय स्तर पर विभिन्न निधियों का उपयोग करने के लिए समस्त जिला कलेक्टर को निर्देश दिए जाएंगे।
राज्य में कुल 44 हजार 832 प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में मध्यान्ह भोजन का संचालन किया जा रहा है। जिससे राज्य के 31 लाख से अधिक विधार्थी लाभान्वित हो रहें है। इनमें से 42 हजार 404 शालाओं में महिला स्वासहायता समूह, 38 शालाओं में ग्राम पंचायत, 675 शालाओं में स्वंय सेवी संस्थाओं, एक हजार 152 शालाओं में प्रधानपाठकों और 563 शालाओं में मातृ समिति द्वारा मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन किया जा रहा है।
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