कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण सच्चाई से कोसों दूर था, उसमें बेरोजगारी के बारे में कोई जिक्र नहीं था. जबकि पिछले साल 3 करोड़ युवाओं ने अपना रोजगार खो दिया. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि 50 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी इस वक्त हिंदुस्तान में है.
वायनाड सांसद ने आगे कहा कि हमारी यूपीए की सरकार ने दस साल के भीतर 27 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला था और इस सरकार ने 23 करोड़ लोगों को गरीबी में धकेल दिया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी से असंगठित क्षेत्र को खत्म कर दिया, जिससे अब दो हिंदुस्तान बन गए हैं- गरीबों का भारत और अमीरों का भारत.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने अपने भाषण में कहा कि जब तक असंगठित क्षेत्र को मजबूत नहीं किया जाएगा, तब तक स्टार्टअप इंडिया, न्यू इंडिया, मेक इन इंडिया के नारे से कुछ नहीं होगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को दो हिंदुस्तानों को जोड़ने का काम करना चाहिए. राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार ने असंगठित क्षेत्र का लाखों-करोड़ रुपया छीनकर हिंदुस्तान के दो सबसे बड़े अरबपतियों को दिलवा दिया. इस सरकार ने अपने पिछले 7 सालों में लघु-मध्यम उद्योगों पर एक के बाद एक हमला किया है.
A-A वैरिएंट देश की अर्थव्यवस्था में फैला
राहुल गांधी ने अंबानी और अडानी को देश का सबसे बड़ा मोनोपोलिस्ट करार दिया और कहा कि दोनों उद्योगपति कोरोना वायरस के वैरिएंट (डेल्टा और ओमिक्रॉन) की तरह ही डबल-ए (AA) वैरिएंट हैं. ये वैरिएंट देश की अर्थव्यवस्था को अपनी चपेट में लेते जा रहे हैं.
उन्होंने अपने आरोपों में कहा कि मोदी सरकार ने अडानी को हिंदुस्तान के सभी बंदरगाह, हवाई अड्डे, खदानें, बिजली कारखाने इत्यादि दे दिए हैं, तो वहीं पेट्रोकेमिकल, टेलीकॉम, रिटेल और ई-कॉमर्स में अंबानी का एकाधिकार हो गया है, इसलिए पूरा का पूरा धन चुने हुए लोगों के हाथ में जा रहा है.
भारत के संघवाद पर बोले
उन्होंने कहा कि भारत के आज दो विजन हैं. एक यह कि भारत राज्यों का संघ है, जहां बातचीत और साझेदारी के माध्यम से निर्णय लिए जाते हैं और दूसरा यह कि शहंशाह के हुक्म से शासन किया जाता है. भाजपा इसी दोषपूर्ण दृष्टि ने हमारे देश को कमजोर कर रही है. राहुल गांधी ने कहा कि संविधान में भारत को राष्ट्र नहीं कहा गया है, भारत राज्यों का संघ है यानी फूलों के गुलदस्ते के समान है. सरकार को इतिहास ज्ञान नहीं है. बिना संवाद के लोगों पर राज नहीं कर सकते. हर राज्य की अपनी संस्कृति, भाषा, इतिहास है. केंद्र राज्यों पर कोई दवाब नहीं बना सकता है. हमारा देश सामाज्य नहीं है. देश को केंद्र की छड़ी से नहीं चलाया जा सकता है.
पेगासस पर भी हंगामे के आसार
संसद के इस बजट सत्र में पेगासस मुद्दे पर हंगामे के आसार हैं. माना जा रहा है कि विपक्षी दल इस मुद्दे को उठाने से नहीं चूकेंगे. वहीं, इससे पहले, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सर्वदलीय बैठक के बाद कहा था कि Pegasus मामला अब माननीय सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है. ऐसे में इस मुद्दे पर संसद में चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है. इस सत्र में बजट पर ही होगी चर्चा, बाकी अंतिम फैसला स्पीकर का रहेगा.
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