नई दिल्ली: अप्रैल-मई 2021 में कोरोना की दूसरी लहर के बाद ब्लैक फंगस (Black Fungus) के बढ़ते मामलों ने लोगों के मन में दहशत पैदा कर दी थी. कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) से रिकवर होने के बाद कई लोग म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस के शिकार हुए थे. इस बीमारी के कारण कई लोगों की आंख और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा था और इसके कारण कई मौतें हुई थीं. अब ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) के कारण कोरोना की तीसरी लहर में भी ब्लैक फंगस का डर बढ़ने लगा है.
दरअसल ब्लैक फंगस एक ऐसी बीमारी है जो किसी बैक्टीरिया और वायरस से नहीं बल्कि एक विशेष प्रकार के फंगस की वजह से होती है. यह एक प्रकार का खतरनाक संक्रमण है जो कि बेहद घातक होता है. आंखों में जलन, चेहरे, वाक के पास या आंख के पास त्वचा का काला होना, सिर में तेज दर्द होना और चेहरे पर दोनों ओर या एक तरफ सूजन आदि इसके लक्षण हैं.
ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों के अंधा होने, अंगों में खराबी और समय पर इलाज नहीं मिलने से मौत होने की आशंका रहती है. हाई ब्लड शुगर लेवल वाले और लंबे समय तक स्टेरॉयड पर रहने वाले कोविड रोगियों को ब्लैक फंगस का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. इसके अलावा कमजोर इम्युनिटी वाले रोगी या वह व्यक्ति जिसका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है वे लोग भी इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं.
हाल ही में मुंबई में कोरोना पॉजिटिव पाए गए एक 70 वर्षीय मरीज में 12 जनवरी को ब्लैक फंगस के लक्षण देखने को मिले. इसके बाद उन्हें वॉकहार्ट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है.
ओमिक्रॉन वेरिएंट की लहर में ब्लैक फंगस के मामले नहीं मिल रहे हैं. लेकिन क्या पिछले साल की तरह फिर से एक बार यह बीमारी लोगों को अपना शिकार बना सकती है इस सवाल के जवाब पर संक्रामक रोगों से जुड़े विशेषज्ञ डॉक्टर्स का कहना है कि ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा उन लोगों में रहता है जो लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहते हैं. इसके अलावा सामान्य रोगियों में भी स्टेरॉयड के लगातार इस्तेमाल के चलते ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि इस बीमारी से जुड़े सभी जोखिम ओमिक्रॉन वेरिएंट के साथ बहुत कम हैं.
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