धार: धार में बुजुर्ग के निधन के बाद अनोखे अंदाज में उसे अंतिम विदाई दी गई. जो आमतौर पर बहुत कम देखी जाती है. दरअसल अंतिम यात्रा में शामिल लोग ढोलक की थाप पर नृत्य करते हुए मुक्तिधाम तक पहुंचे.
जिन्होंने अर्थी को कंधा दे रखा था, वे भी अर्थी उठाकर नृत्य कर रहे थे. अंतिम संस्कार की यह परंपरा धार जिले के तिरला ब्लॉक के भुवादा गांव में निभाई गई. जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. गांव में बुजुर्ग के निधन को उत्सव की तरह मनाया जाता है.
दरअसल धार जिले के तिरला क्षेत्र के ग्राम देवीपुरा भुवावदा में 100 वर्षीय बुजुर्ग जाम सिंह की मौत 6 दिन पहले हुई थी. इसके बाद शव यात्रा में लोक नृत्य करते हुए उन्हें मुक्तिधाम तक ले गए. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा
इस शवयात्रा में लोग ऐसा डांस कर रहे थे मानो यह किसी की शव यात्रा नहीं बल्कि शादी की पालकी निकल रही हो. बड़ी संख्या में लोग मृतक के साथ नृत्य करते हुए चल रहे थे. वीडियो को शेयर करते के लोग लिख रहे हैं कि यह कैसी शव यात्रा जिसमें लोग मौत का मातम मनाने के बजाय जश्न मना रहे है?
आदिवासियों ने निभाई परंपरा
दरअसल आदिवासियों की परंपरा है कि जब कोई व्यक्ति पक्की उम्र में मरता है तो उसे हंसी खुशी उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. आदिवासी समाज की यह ऐतिहासिक प्रथा है. समाज उम्रदराज व्यक्ति के पंचतत्व में विलीन होने पर उसे उत्सव के रूप में मनाता है. इसलिए बुजुर्ग की मौत पर ग्रामीण और रिश्तेदार नाचते गाते शवयात्रा निकाल रहे हैं. जिसमे मृदंग, झांज, ढोल, फेफरे शामिल थे.
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