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ब्लड प्रेशर के सहारे चलेगी ये आर्टिफिशियल किडनी… खत्म होगा डायलिसिस का झंझट…

सोचिए आपके शरीर में एक ऐसी किडनी हो जिसके साथ आगे चलकर डायलिसिस का डर ना हो. जो आपको किडनी से जुड़ी बीमारियों से दूर रखे, जिसके बाद आपके मन में कभी भी किडनी के खराब होने पर ट्रांसप्लांट (प्रत्यारोपण) कैसे होगा इस बात का डर न हो.

दरअसल, शोधकर्ताओं ने एक ऐसी कृत्रिम किडनी बनाई है, जो किडनी के मरीजों को डायलिसिस से छुटकारा दिला देगी. इसे किडनी प्रोजेक्ट की टीम ने बनाया है. यह इम्प्लांटेबल बायोआर्टिफिशियल किडनी है.

इसे लेकर कहा जा रहा है कि यह किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को डायलिसिस मशीनों और ट्रांसप्लांट के लिए लंबे इंतजार से छुटकारा दिलाएगी. बता दें कि किडनी प्रोजेक्ट एक नेशनल रिसर्च प्रोजेक्ट है. इसका लक्ष्य किडनी फेलियर के उपचार के लिए सूक्ष्म, चिकित्सा द्वारा ट्रांसप्लांट और बायोआर्टिफिशियल कृत्रिम किडनी बनाना है.

किडनीएक्स अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग व अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के बीच एक सार्वजनिक-निजी साझेदारी है. इसकी स्थापना किडनी की बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार में नई तकनीकों में लाने के लिए की गई है.

छोटा सा है ये डिवाइस
रिपोर्ट्स के मुताबिक किडनी प्रोजेक्ट ने अपनी कृत्रिम किडनी में दो महत्वपूर्ण भागों हेमोफिल्टर और बायोरिएक्टर को जोड़ा. प्रीक्लिनिकल निगरानी के लिए स्मार्टफोन के आकार के उपकरण को सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया. इस पहल के लिए किडनी प्रोजेक्ट की टीम को किडनीएक्स के पहले चरण के कृत्रिम किडनी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह टीम अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र से चुनी गई छह विजेता टीमों में से एक थी.

पिछले कुछ वर्षों में द किडनी प्रोजेक्ट ने अलग-अलग प्रयोगों में हेमोफिल्टर और बायोरिएक्टर का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. हेमोफिल्टर खून से अपशिष्ट उत्पादों और जहरीले पदार्थों को हटाता है. वहीं बायोरिएक्टर रक्त में इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन जैसे कार्य करता है.

किडनी परियोजना की आर्टिफिशियल किडनी ना सिर्फ लगाने वाले को बेहतर जिंदगी देगा बल्कि इसे कई तकलीफों से मुक्ति भी दिलवाएगा, साथ ही मरीजों को दवाओं से होने वाले साइडइफेक्ट्स और बीमारियों से भी बचाएगा.

शोधकर्ताओं का कहना है कि हमारी टीम ने ऐसी कृत्रिम किडनी बनाई है जो मानव किडनी कोशिकाओं को मदद करेगी और साथ ही इम्यून रिस्पॉन्स भी इसे बाहरी पदार्थ समझ कर इसका विरोध नहीं करेगा.

अब जब हम हीमोफिल्टर और बायोरियेक्टर के साथ भी इसके जुड़ने की संभावनाओं का प्रदर्शन कर चुके हैं. तो अब हमें और सख्त प्रीक्लीनिकल जांच के लिए अपनी तकनीक को और उन्नत करना होगा. ताकि परिणामों में किसी तरह की कोई गुंजाइश ना रहे.

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