
कोरबा। लगभग 2 बरस से कटघोरा से पाली की सड़क अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। बरसात के शुरुआत में ही जमीनी हकीकत की पोल खुलने लगी है। यूं तो रोड के मरमत के लिए शासन द्वारा कई बार राशि मुहैया कराई गई है, लेकिन धरातल पर आने के बजाय यह राशि कहां जाती है, यह किसी को समझ नहीं आ रहा है। क्षेत्रवासी मुश्किल से इस रोड से गुजरने को मजबूर हैं।

लोगों में सड़क को लेकर काफ ी आक्रोश है। रोजाना ही छोटी.मोटी दुर्घटनाएं घट रही हैं, जिसमें राहगीर चोटिल हो रहे हैं और अपनी जान भी गवां रहे हैं। लेकिन शासन प्रशासन में बैठे नुमाइंदे मानो खामोशी की चादर ओढ़े हुए हैं। इन लोगों को आम जनमानस से कोई सरोकार नहीं है।
लिहाजा जनता नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। कुछ दिन पहले कटघोरा के स्थानीय नेता के द्वारा पीडब्ल्यूडी पर आरोप लगाया गया था कि टेंडर पास हो जाने के बावजूद भी विभाग द्वारा सड़क के मरमत के लिए कोई जहमत नहीं उठाई गई है और आज की स्थिति यह हो गई है कि सड़क का नामोनिशान मिट गया है।
यहां यह बताना लाजमी होगा कि यह नेशनल हाईवे कहलाता है जो की बिलासपुर से पाली, सुतर्रा तथा कटघोरा मार्ग से अबिकापुर होते हुए कई राज्यों को जोड़ता है। लेकिन विभाग में बैठे या कहें कुंभकरण की नींद में सोए हुए अधिकारी राष्ट्रीय राजमार्ग के मरमत में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। आज सड़क से गुजरने वाले राहगीर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद लोगों में उमीद जगी थी कि अब अच्छे दिन आएंगे लेकिन वह अच्छे दिन कब आएंगे यह कह पाना मुश्किल है।(एजेंसी)