AIIMS के महामारी विशेषज्ञ डॉ संजय के राय ने ये कहकर कई लोगों को हैरानी में डाल दिया है कि केंद्र द्वारा 15 से 18 साल के बच्चों को कोरोना वैक्सीन देने का फैसला अवैज्ञानिक है. उन्होंने कहा कि इस वैक्सीनेशन से कोई खास फायदा नहीं मिलने वाला है. बता दें कि पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में घोषणा की थी कि 3 जनवरी से 15 से 18 साल के बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा.
डॉ संजय के राय न सिर्फ AIIMS के वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ (Epidemiologist) हैं बल्कि एम्स में बच्चों और व्यस्कों पर कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन ट्रायल के मुख्य अनुसंधानकर्ता हैं. ऐसे में उनके बयान का खासा महत्व है. डॉ संजय के राय ने अब अपने बयान पर सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि ये पीएम मोदी का विरोध नहीं है, ये विज्ञान की बात है. उन्होंने किसी का विरोध नहीं किया है, बल्कि वे साइंस की बात करते हैं.
बता दें कि डॉ संजय के राय ने कहा था, “मैं राष्ट्र के लिए उनकी निस्वार्थ सेवा और सही समय पर सही निर्णय लेने के लिए पीएम मोदी का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं, लेकिन बच्चों के टीकाकरण पर उनके अवैज्ञानिक निर्णय से मैं पूरी तरह निराश हूं.”
प्रधानमंत्री मोदी को एडवाइजर्स ने सही जानकारी नहीं दी
डॉ संजय के राय ने कहा कि हो सकता है कि शायद प्रधानमंत्री मोदी के एडवाइजर्स ने उन्हें सही जानकारी नहीं दी हो. बच्चों में कोरोना की वजह से मौत की दर बेहद ही कम है. उन्होंने कहा, “जहां बच्चों में मौत का दर लाख में दो है वही वैक्सीन देने के बाद अगर लाख में पांच या उससे ज़्यादा बढ़ जाता है तो कौन जवाब देगा.”
बूस्टर डोज देने के बावजूद भी लोग प्रभावित हो रहे
केंद्र सरकार के फैसले को अवैज्ञानिक बताने की वजह बताते हुए उन्होंने कहा, “मैंने अवैज्ञानिक इसलिए कहा क्योंकि जहां हम देख रहे हैं कि बच्चों में कोविड-19 से मौत की दर बहुत कम है तब भी उनके लिए वैक्सीन लगाई जा रही है. बाहर देशों में बूस्टर डोज देने के बावजूद भी लोग प्रभावित हो रहे हैं.” उन्होंने कहा कि वैक्सीन का काम है मौत और बीमारी की गंभीरता से बचाना.”
लगानी भी है तो Covaxin बेहतर विकल्प
कोवैक्सीन का बच्चों पर असर का अध्ययन करने वाले डॉ संजय के राय ने कहा कि वे मानते हैं कि अगर बच्चों को वैक्सीन लगानी भी है तो Covaxin से बेहतर कोई विकल्प नहीं है.
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