रायपुर। शिक्षाकर्मियों ने बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन के बाद अब स्थानीय परीक्षाओं को भी बहिष्कार करने का फैसला किया है। संघ का कहना है कि सरकार उनकी मांगों के प्रति गंभीर नहीं है। शुक्रवार को मीटिंग के दौरान मुख्य सचिव ने केवल 6 की बात सुनी, जबकि बुलाया 14 प्रतिनिधियों को था। उन्होंने आधी बैठक के बाद ही कहा कि कहीं जरुरी काम से जाना है, इसलिए अगली बार चर्चा करेंगे। इस संबंध में वीरेन्द्र दुबे का कहना है कि जब चर्चा नहीं करनी थी, शासन को हमें बुलाना नहीं चाहिए था, कुछ बहुत दूर से बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे, जिन्हें बात रखने तक का मौका नहीं मिला है। श्री दुबे ने कहा कि अब तक शिक्षाकर्मियों के मामले में 22 कमेटियां बन चुकी हैं, लेकिन मामला वहीं का वहीं का है। किसी ने भी हल नहीं निकाला अब एक और कमेटी बनी है, जिसका भी तीन महीने का कार्यकाल खत्म हो चुका है और एक महीना बढ़ाया गया है। इस कमेटी का रवैया भी समझ से परे है। उन्होंने कहा कि 26 मार्च को सभी जिला मुख्यालयों में शिक्षाकर्मी धरन देकर अपना विरोध जताएंगे।
उन्होंने कहा कि अभी शुरुआत बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन के बहिष्कार से की गई है उसके बाद स्थानीय परीक्षाओं को भी बहिष्कार शिक्षाकर्मी करेंगे। संघ के प्रवक्ता जितेन्द्र शर्मा का कहना है कि उन्हें शासन से बहुत उम्मीद थी कि वे संविलियन सहित विभिन्न मांगों पर उन्हें राहत देंगे, लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ होता दिख नहीं रहा है। शुक्रवार को भी मीटिंग में जिस तरह का रवैया सामने आया वह चकित करने वाला था।
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