भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर हलचल तेज हो गई है। कोरोना के इस वैरिएंट से प्रदेश को भी खतरा हो सकता है लिहाजा इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से अलर्ट भेजा गया है। लेकिन क्या ये वैरिएंट प्रदेश में भी मौजूद है, इस बात का पता लगाने का अभी का जो सिस्टम है उसमें तकनीकी रूप से कई खामियां है।
दरअसल, हर महीने पंद्रह पंद्रह दिन के अंतराल में प्रदेश से कुल कोरोना सैंपल के 5 से 15 प्रतिशत तक सैंपल नए वैरिएंट की जांच के लिए आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में भेजा जा रहे हैं। वहां पर रेंडमली चुने गए सैंपलों की एडवांस जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए जांच की जाती है उसके बाद ही पता लग पाता है कि छत्तीसगढ़ में जो मरीज मिले हैं, उनमें किस तरह के वैरिएंट रहे हैं। कौनसा वैरिएंट खतरनाक है और कौनसा वैरिएंट सामान्य है, इसको लेकर रिपोर्ट में व्यापक जानकारी भी साझा की जाती है। दरअसल, इस पूरे सिस्टम में कई सारी खामियां है। भास्कर पड़ताल में चौंकाने वाली बात सामने आई है कि एम्स रायपुर में भी सैंपलों की जीनोम सिक्वेंसिंग हो सकती है। लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की ओर से छत्तीसगढ़ के सैंपल विशाखापट्टनम लैब में भेजे जा रहे हैं।
प्रदेश के सैंपलों की रायपुर में ही एडवांस जांच हो सके इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से केंद्रीय मंत्रालय को पहले भी पत्र लिखा जा चुका है। इतना ही नहीं, नेहरु मेडिकल कॉलेज में भी जीनोम सिक्वेंसिंग लैब के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है, किंतु इसी तकनीकी पेंच के चलते ये मुमकिन नहीं हो पा रहा है। इस साल में 1 जनवरी से 15 नवंबर के बीच प्रदेश से 3329 से अधिक सैंपल भेजे गए हैं। जिनमें से अभी भी करीब साढ़े तीन सौ सैंपल की रिपोर्ट नहीं मिल पाई है। शुरूआती दौर में भी एडवांस जांच रिपोर्ट मिलने में काफी देरी हो रही थी।
नवंबर माह 700 से अधिक केस डेल्टा वैरिएंट का असर अब भी: प्रदेश में दूसरी लहर के पीक में कोहराम मचाने वाले डेल्टा वैरिएंट का असर अब भी प्रदेश में बना हुआ है। जानकारों के मुताबिक वैक्सीनेशन के चलते अब डेल्टा वैरिएंट उतना अधिक नुकसान नहीं पहुंचा रहा है। नवंबर के महीने में अब तक प्रदेश में 700 से अधिक केस मिल चुके हैं। जबकि 15 दिन की अवधि में मिले 353 से अधिक केस में डेल्टा वैरिएंट के मामले ही अधिक संख्या में निकले हैं।
इस साल जनवरी से अब तक प्रदेश की ओर से भेजे गए 33सौ से अधिक सैंपल में 12 सौ से अधिक में डेल्टा वैरिएंट मिला है। डेल्टा वैरिएंट के चलते ही दूसरी लहर में अस्पतालों में मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई थी।
एडवांस टेस्ट प्रदेश में होने से नए वैरिएंट के खतरों से निपटने में हो जाएगी आसानी: इधर, स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ के कोविड सैंपलों की एडवांस जांच यानी जीनोम सिक्वेंसिंग प्रदेश में ही हो सके इसकी अनुमति मिलनी चाहिए। प्रदेश की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी इस बात का सुझाव और आग्रह किया जा चुका है कि एडवांस टेस्टिंग हाइपर लोकल होने से कोरोना के नए वैरिएंट के खतरों से निपटाना आसान हो जाएगा।
जानकारों का कहना है कि अगर किसी भी जिले में किसी वैरिएंट विशेष की वजह से संक्रमण में फैलाव की स्थिति बन जाती है तो इस सूरत में एडवांस रिपोर्ट के आने से पहले तक मामला काफी हद तक बिगड़ चुका होता है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के पीक में इसके चलते काफी स्थिति बिगड़ चुकी थी।
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