
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सवाल किया है कि क्या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम पंजाब के कांग्रेस अध्यक्ष नवजोतसिंह सिद्धू की तरह ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से यह सवाल करने का नैतिक व राजनीतिक साहस दिखाएंगे कि प्रदेश सरकार इतना कर्ज क्यों ले रही है और प्रदेश के अर्थ-तंत्र का सत्यानाश क्यों हो गया है?
कौशिक ने कहा कि पंजाब के कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू ने पंजाब को भारत का सबसे अधिक कर्जदार प्रदेश बताते हुए पंजाब की चन्नी-सरकार पर जिस तरह निशाना साधा है, अच्छा होता कि ऐसा ही साहस छत्तीसगढ़ के कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम भी दिखाते।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कांग्रेस नेता सिद्धू के इस बारे में किए गए तीन ट्वीट्स का हवाला देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने महज़ तीन साल के अपने छोटे-से कार्यकाल में ही लगभग 40 हज़ार करोड़ रुपए का कर्ज़ ले लिया है।
इसके एवज़ में 7 से 8 हज़ार करोड़ रुपए का केवल ब्याज ही इस सरकार को चुकाना है। हालात ये हो चले हैं कि प्रदेश सरकार को अपनी हर योजना के लिए केंद्र से कर्ज़ लेना पड़ रहा है जो प्रदेश सरकार की आर्थिक कुनीतियों का ही दुष्परिणाम है।
कौशिक ने कहा कि अपने आर्थिक कुप्रबंधन का काला अध्याय रचने में मशगूल प्रदेश सरकार ने आय के स्रोत बढ़ाने की दिशा में कोई क़ारगर पहल ही नहीं की, और जो कर्ज़ भूपेश-सरकार ने लिया, उसे भी वह ऐसी ज़गह इस्तेमाल नहीं कर पाई, जिससे प्रदेश सरकार की आय बढ़े।
अपनी प्रदेश सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन पर मुख्यमंत्री से सवाल करने के बजाय मरकाम बात-बेबात केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ मिथ्या प्रलाप करने लगते हैं।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक के मुतााबिक़ अर्थशास्त्र का नियम भी यही कहता है कि कोई भी राज्य या देश यदि कर्ज़ लेता है तो उसे उक्त राशि पूंजीगत व्यय में लगानी होती है, जिससे चार गुना पैसा वापस आता है। लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार कर्ज़ लेकर वन टाइम एक्सपेंडिचर (एकबारगी ख़र्च) ही कर रही है, जिससे प्रदेश की जीएसडीपी की ग्रोथ बुरी तरह प्रभावित हो गई है, वित्तीय घाटा दुगुना हो गया है।
कौशिक ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ ऋण लेने की क्षमता को पार कर चुका है और ऐसे में प्रदेश कर्ज़ की गहरी खाई में डूब रहा है। इसलिए अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम भूपेश सरकार के हर फैसलों का बचाव करने और आर्थिक मोर्चे पर विफल सााबित हो चुकी सरकार का स्तुतिगान करने के बजाय पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू की तरह सवाल पूछने का साहस भी करना चाहिए।