पूरी दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील हो गई है. दिवाली पर पटाखे ने फोड़ने के शासकीय फरमान के बावजूद लोगों ने जमकर आतीशबाजी की. सुबह होते-होते दिल्ली-एनसीआर में धुआं की काली परत जम गई. आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ उठ गई. लोग कोसते नजर आए कि उस पटाखेबाजी का क्या फायदा अगर जीना ही मुहाल हो जाए. शनिवार को कुदरत का रुख थोड़ा बदला और हवा तेज हो चली.
धुएं का गुबार छंट गया और धूप धरती पर पड़ी. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हवा जहर से मुक्त हो गई है. असर उतना ही है, बस परेशानी थोड़ी टल सी गई है. यह परेशानी और न बढ़ जाए, इसके लिए दिल्ली परिवहन विभाग ने नया निर्देश जारी किया है.
इस निर्देश में कहा गया है कि बाइक चला रहे हों या कार, अपने साथ पीयूसी सर्टिफिकेट लेकर चलना जरूरी है. यह सर्टिफिकेट भी वैध होना चाहिए, यानी कि इस सर्टिफिकेट में गाड़ी की ताजा अपडेट होनी चाहिए कि उससे प्रदूषण नहीं फैलता.
पुराना या बिना पीयूसी के कोई चालक सड़क पर पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ जुर्माने के साथ आर्थिक दंड की भी कार्रवाई हो सकती है.
प्रदूषण का असर
परिवहन विभाग के एक सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि पीयूसी सर्टिफिकेट न दिखाने वाले ड्राइवरों का तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाएगा. परिवहन विभाग ने दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए यह प्रयास शुरू किया है.
इसी प्रयास के तहत पीयूसी सर्टिफिकेट को सख्ती से अमल में लाया जा रहा है. अगर कोई चालक ट्रैफिक पुलिस को वैध पीयूसी सर्टिफिकेट दिखाने में नाकाम रहता है तो उसे 6 महीने की सजा या 10 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है. इससे बचने के लिए चालकों को साथ में यह प्रमाण पत्र लेकर चलने का निर्देश दिया गया है.
क्या होता पीयूसी सर्टिफिकेट में
यह सर्टिफिकेट खास सेंटरों पर बनाए जाते हैं जो पेट्रोल पंप पर भी हो सकते हैं. इस सर्टिफिकेट में इस बात की गारंटी दी जाती है कि गाड़ी से कितना प्रदूषण हो रहा है. या गाड़ी से कौन सी गैस कितनी मात्रा में हवा में मिल रही है. गाड़ियों से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी अलग-अलग गैसों के लिए समय-समय पर टेस्ट किया जाता है.
टेस्ट के बाद गाड़ियों को पीयूसी प्रमाणपत्र दिया जाता है. परिवहन विभाग की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है, “सभी पंजीकृत वाहन मालिकों से अनुरोध है कि वे परिवहन विभाग द्वारा अधिकृत प्रदूषण जांच केंद्रों से अपने वाहनों की जांच करवाएं ताकि किसी भी तरह के दंड/कारावास/ड्राइविंग लाइसेंस के निलंबन से बचा जा सकें.”
कितने रुपये में बनता है सर्टिफिकेट
अलग-अलग गाड़ियों के लिए चार्ज भी अलग है. जैसे पेट्रोल और सीएनजी की दोपहिया और तिपहिया गाड़ियों के लिए प्रदूषण जांच का शुल्क 60 रुपये निर्धारित है. इसी तरह अगर चार पहिया वाहनों के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाना हो तो 80 रुपये देने होंगे.
डीजल वाहनों के प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र का शुल्क 100 रुपये है. केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 कहता है कि देश में हर मोटर वाहन (बीएस-I/बीएस-II/बीएस-III/बीएस-IV के साथ-साथ सीएनजी/एलपीजी पर चलने वाले वाहनों सहित) को एक वैध पीयूसी प्रमाणपत्र बनवाना जरूरी है. इसी नियम के तहत चार पहिया बीएस-IV गाड़ियों के पीयूसी सर्टिफिकेट की वैधता एक साल और बाकी वाहनों के लिए तीन महीने है.
Add Comment