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बकरीद पर पशुओं की कुर्बानी को लेकर प्रशासन ने दी सफाई… कहा- कोई प्रतिबंध नहीं, न फैलाएं अफवाह…

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि अगले हफ्ते ईद-उल-अजहा (Eid) के त्योहार से पहले जानवरों की बलि देने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. अधिकारियों ने कहा कि त्योहार के मामले में पशु कल्याण कानूनों का हवाला देते हुए एक दिन पहले जारी पत्र का गलत मतलब निकाला गया. पशु, भेड़ पालन और मत्स्य पालन विभाग के निदेशक जीएल शर्मा ने कहा, ‘यह वो आदेश नहीं था. यह पशु कल्याण बोर्ड का एक पत्र था जिसे संबंधित विभागों को जानवरों के प्रति क्रूरता रोकने के लिए भेजा गया था. लोगों ने इस पत्र की गलत तरीके से व्याख्या की. ईद के मौके पर किसी भी बलिदान पर कोई प्रतिबंध नहीं है.’

ईद-उल-अजहा के दिन पैगंबर इब्राहिम के विश्वास की परीक्षा को मनाने के लिए मुसलमान पशुधन की बलि देते हैं. बता दें कि बकरीद का त्योहार तीन दिनों तक मनाया जाता है. इस दौरान लोग जानवरों की कुर्बानी देते हैं. कुर्बानी के मांस को तीन हिस्सों में किया जाता है, एक हिस्सा गरीबों-फकीरों में बांटा जाता है. दूसरा हिस्सा ऐसे रिश्तेदारों और पड़ोसियों में बांटा जाता, जिनके घर कुर्बानी नहीं हुई है और तीसरा हिस्सा लोग अपने इस्तेमाल के लिए रखते हैं.

धार्मिक समूहों ने फैसले पर जताई थी नाराजगी
इसमें कहा गया कि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने सभी एहतियाती उपायों को लागू करने का अनुरोध किया है. शर्मा ने अधिकारियों को “जानवरों की अवैध हत्या को रोकने” के लिए उद्धृत कानूनों के प्रावधानों के अनुसार सभी निवारक उपाय करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि पशु कल्याण कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. शर्मा का स्पष्टीकरण तब आया है जब पहले आए आदेश से लोगों में नाराजगी भड़क गई और धार्मिक समूहों ने इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताया.

गौरतलब है कि ईद के के अवसर पर भेड़, गाय, बछड़ों और ऊंटों की कुर्बानी दी जाती है. जम्मू-कश्मीर में कई धार्मिक संगठनों के समूह मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) ने प्रतिबंध के खिलाफ शुक्रवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि यह प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का सीधा-सीधा उल्लंघन है.

एमएमयू ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि ईद के धार्मिक अवसर पर गोवंश के जानवरों की बलि को ‘अवैध’ कहा जा रहा है और जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम की आड़ में इसकी अनुमति नहीं दी जा रही है. एमएमयू ने कहा, ‘ईद-उल-अजहा पर गोवंश सहित अनुमति योग्य जानवरों की सर्वशक्तिमान अल्लाह की राह में कुर्बानी ही इस त्योहार को मनाने का सटीक कारण है. लिहाजा, यह इस दिन के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक नियम है और इसका पालन करना लोगों का फर्ज है.’

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