रमेश अग्रवाल, रायगढ़। जिले को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का एवार्ड तो मिल गया लेकिन क्या वास्तव में बेटियों को उसका अधिकार मिला यह सवाल पिछलें दिनों लोक सुराज अभियान के दौरान एक बेटी के आंसुऔ ने खड़ा कर दिया। उसे इंटरकास्ट मेरिज के बाद उसके पति ने उसे घर से निकाल दिया। उसने अपना यह दुखडा़ शिविर में विधायक को सुनाया लेकिन समाधान कुछ भी नहीं निकल सका। इंटरकास्ट मैरिज के कारण वह प्रताडि़त हो रही है जिसके कारण वह अपनी मासूम बेटी को गोद में लिये दर-दर भटक रही है। तेज कुमारी निषाद ने हरिमर्दन राठिया से पिछले साल ही लव मैरिज की थी। इंटरकास्ट मैरिज के चलते घर में कई तरह की समस्याओं का सामना उसे करना पडा़ फिर भी इन प्रताडऩाओं के बीच वह माँ भी बन गई।
लेकिन अब तो उसके पति ने ही उसे घर से ही निकाल दिया. अपनी इस आप बीती को लेकर वह जिले के कई अधिकारियों के पास गयी और इसाफ दिलाने की मांग की मगर किसी ने उसकी नहीं सुनी तो उसने जिवरी के लोक समाधान शिविर में अपना दुखड़ा रोया ताकि सरकार उसकी समस्या का समाधान कर दे, लेकिन उसे विधायक का जो जवाब मिला वह चौंकाने वाला था. विधायक सुनीति राठिया ने पीडि़ता से कहा कि कहाँ दर-दर भटक रही हो, माँ-बाप तो तुम्हारे साथ हैं ना !. विधायक के इस जवाब के मुताबिक तो युवती को पति की कोई आवश्यकता ही नही है। वह मायके मे ही घूंट-घूंट कर अपना जीवन काट दे किसी शादीशुदा महिला का जीवन क्या इस प्रकार कट सकता है। यह हाल है जिले की बेटियों का और विधायक का जो न्याय दिलाने की बजाये नसीहत का पाठ पढा़ रही हैं वह भी एक महिला होकर।
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