छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी एक नवंबर से शुरू नहीं होगी। धान खरीदी के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक में इस साल एक करोड़ 5 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया।
लेकिन तारीख को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ। बल्कि दीवाली के बाद फिर से बैठक होगी, जिसमें धान के आवक की स्थिति को देखते हुए तारीख पर कोई फैसला होगा। सरकार का दावा है कि उसकी धान खरीदी की पूरी तैयारी है। इधर भाजपा ने एक नवंबर से धान खरीदी शुरू नहीं होने पर सरकार को घेरा है, वहीं कई जगहों पर धान समितियों ने प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है।
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की अध्यक्षता में हुई। जिसमें धान खरीदी की तैयारियों, बारदाने की उपलब्धता को लेकर चर्चा हुई। लेकिन धान खरीदी की तारीख को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ।
इस बैठक के बाद कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि अभी पूरे प्रदेश में बहुत कम धान की कटाई हुई है। लिहाजा दीवाली के तुरंत बाद समिति की फिर से बैठक होगी। जिसमें धान की आवक को देखते हुए खरीदी की तारीख को लेकर फैसला होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से 30 फीसदी बारदाना मिला है।
उन्होंने कहा कि हम PDS, राइस मिलर्स और बाजार से भी बारदाना खरीद रहे हैं। धान खरीदी के पहले दिन से ही किसानों के बारदाने का भी उपयोग किया जाएगा।
इधर भाजपा ने एक नवंबर से ही धान की खरीदी करने की मांग तेज कर दी है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय ने धान खरीदी में लेटलतीफी को लेकर ट्वीट किया। वहीं नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि सरकार की धान खरीदने की नीयत ही नहीं है। वो जानबूझ कर खरीदी में देरी कर रही हैं ताकि 2500 रुपए न देना पड़े।
भाजपा के आरोपों पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा धान खरीदी के मुद्दे पर केवल राजनीति की है। केंद्र के दोहरे मापदंड के कारण छत्तीसगढ़ को परेशानी हो रही है। वहीं किसान कांग्रेस धान खरीदी में किसानों का सहयोग करेगी। इसके लिए जिला से लेकर ब्लॉक स्तर पर कार्यकारिणी का गठन और विस्तार किया जा रहा है।
इधर धान खरीदी शुरू होने से पहले धमतरी और राजनांदगांव में सहकारी समितियों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
दो साल से सोसायटी को नुकसान होने की बात कह रहे हैं। वहीं पांच सूत्रीय मांग पूरी नहीं होने पर धान खरीदी का बहिष्कार करने की बात कह रहे हैं। छत्तीसगढ़ में धान और किसान सबसे बड़ा सियासी मुद्दा है। जाहिर है आने वाले दिनों में धान पर सियासी घमासान और बढ़ेगा।
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