सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि किसी आरोपित को दी गई जमानत में हस्तक्षेप करने के लिए अपराध की गंभीरता, आरोपित के आचरण और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह जरूरी है कि जमानत रद करने के लिए ठोस और अपरिहार्य वजह उपलब्ध हो।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने एक महिला की अग्रिम जमानत रद करते हुए यह टिप्पणी की और उसे दहेज हत्या के एक मामले में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जमानत प्रदान करने की कार्यवाही की तुलना में जमानत रद करने को अलग तरीके से निपटना होगा। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में सदस्य में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिना कोहली भी शामिल थीं।
शीर्ष अदालत विपिन कुमार धीर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके जरिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा दहेज हत्या के एक मामले में मृतका की सास को अग्रिम जमानत दिए जाने को चुनौती दी गई थी।
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