बच्चाें के टीकाकरण काे जल्द मंजूरी मिलने की चर्चा के बीच प्रदेश में भी कवायद तेज हो गई है। स्वास्थ्य विभाग बच्चाें काे टीके केवल स्थापित अस्पतालों व हेल्थ सेंटरों में ही लगाने की प्लानिंग कर रहा है। बड़ों को जहां टीके लगाए जा रहे हैं, उन्हीं सेंटरों में बच्चों को भी डोज लगाने से मिक्सिंग का खतरा रहेगा। यानी कोवैक्सीन की जगह कोविशील्ड और कोविशील्ड की जगह कोवैक्सीन लग जाने का आशंका बनी रहेगी। इससे बच्चों के लिए केंद्र अलग ही रखा जाएगा। राज्य में करीब 90 लाख से एक करोड़ बच्चों को टीके लगने का अनुमान है। बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए 6,696 सेंटर बनाए जाएंगे।
एडवर्स इफेक्ट कमेटी में बच्चों के एक्सपर्ट भी रहेंगे
बच्चों के टीकाकरण शुरू होने से कोविड वैक्सीनेशन के मौजूदा सिस्टम में काफी बदलाव की तैयारी है। सबसे पहले टीके के प्रतिकूल प्रभावों यानी साइड इफेक्ट की मॉनिटरिंग करने वाली कमेटी में पीडियाट्रिशियन यानी बच्चों के एक्सपर्ट डॉक्टरों की नियुक्ति की जाएगी। बच्चों में अगर टीके के कोई साइड इफेक्ट आए तो एक्सपर्ट के जरिए पड़ताल और रिव्यू किया जाएगा।
बच्चों के रूटीन वैक्सीनेशन के साथ ही कोविड टीकाकरण को जोड़ दिया जाएगा। राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. विश्वनाथ भगत के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से जिस तरह आबादी के अनुपात में बड़ों के वैक्सीनेशन के लिए टारगेट दिया गया है। उसी तरह बच्चों के टीकाकरण के लिए भी केंद्र की ओर से टारगेट दिया जाएगा। 2 से 17 या 12 से 17 की उम्र के बीच जिस भी श्रेणी के लिए टीके की मंजूरी पहले मिलेगी, उसी के मुताबिक टीकाकरण शुरू किया जाएगा।
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