भारत के पड़ोसी देश नेपाल से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां पर एक अधेड़ व्यक्ति का लिंग प्लास्टिक की बोतल में फंस गया।
दो महीने तक उस शख्स ने उसे नहीं निकाला, जिस वजह से वहां पर सड़न होने लगी। इसके बाद वो डॉक्टरों के पास पहुंचा, जिसे देखकर सभी हैरान रह गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेक्स गेम के दौरान नेपाल के 45 वर्षीय शख्स का लिंग बोलत के ऊपरी हिस्से में फंस गया था। ये तकनीकि कभी-कभी यौन सुख के लिए इस्तेमाल की जाती है। वहीं जब डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि बोतल की वजह से लिंग में रक्त का संचार सही से नहीं हो पा रहा था, यही उसके ऊतकों के सड़ने का कारण बना। हालांकि दो महीने होने की वजह से नुकसान कम हुआ था।
क्या थी ऐसा करने की वजह?
कोइराला इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज के डॉक्टरों ने उस शख्स की पूरी पहचान नहीं उजागर की। उन्होंने कहा कि रक्त प्रवाह में कमी के कारण पीड़ित का लिंग बहुत सूज गया था और मरीज लंबे समय तक नुकसान झेलने के कगार पर था। उन्होंने उससे कई बार ऐसा करने की वजह पूछी, लेकिन उसने नहीं बताया। उन्होंने प्रारंभिक इलाज किया तो था, लेकिन वो दोबारा फॉलोअप के लिए नहीं आया। जिस वजह से ये नहीं पता कि वो कितने दिनों में ठीक हुआ।
केबल वायर से काटा
डॉक्टरों ने बताया कि मेडिकल कटिंग उपकरण से उन्होंने बोलत के हिस्से को लिंग से अलग करने की कोशिश की, लेकिन वो कामयाब नहीं हुए। इसके बाद केबल वायर कटर की मदद लेनी पड़ी। आमतौर पर ये डॉक्टर इस्तेमाल नहीं करते, लेकिन इस केस में ऐसा नहीं करने पर मरीज को ज्यादा नुकसान होता। वहीं इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सर्जरी केस रिपोर्ट्स में बताया गया कि मरीजों द्वारा महसूस की जाने वाली शर्म ही सर्जिकल परामर्श में देरी का मूल कारण है। इस वजह से केस ज्यादा बिगड़ जाता है।
मानसिक रोगी उठाते हैं ऐसा कदम
डॉक्टरों के मुताबिक इस तरह के केस को पेनिस स्ट्रगुलेशन केस ( Penis Strangulation Case) कहते हैं। इसका पहला मामला 1755 में सामने आया था। उसके बाद से अब तक इसकी दर्जनों घटनाएं सामने आ चुकी हैं। उनका मानना है कि लिंग को बोतल या रबड़ आदि से कस देना एक सर्जिकल इमरजेंसी है, जो अक्सर मानसिक रोगियों द्वारा की जाती है। कई बार लोगों को बोलत की जगह, अंगूठी, कीरिंग, टेप आदि से ऐसा करते हुए देखा गया है।
जब काटना पड़ा लिंग
मेडिक्स ने कहा कि इसका कोई अनुशंसित उपचार नहीं है, क्योंकि हर मामला अलग-अलग होता है जो इस बात पर निर्भर करता है कि रोगी ने किस उपकरण का उपयोग किया है। साथ ही उसने कितने समय के लिए लिंग को वैसी हालत में छोड़ा और कितना नुकसान हुआ। इससे पहले दो ऐसे मामले सामने आए थे, जहां पर डॉक्टरों को मरीजों का लिंग काटना पड़ा था।
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