नई दिल्ली. तालिबान ने मंगलवार को अपनी कार्यवाहक सरकार (Taliban Caretaker Govt) की घोषणा कर दी जिसके मुखिया होंगे मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद (Mullah Hasan Akhund). अमेरिकी सेनाओं के देश छोड़ने के सात दिन बाद इस सरकार की घोषणा की गई. कुछ दिनों पहले तक अब्दुल गनी बरादर का नाम सरकार के शीर्ष लीडर के तौर पर देखा जा रहा था. लेकिन अब नई सरकार में वो नंबर दो की हैसियत रखेंगे यानी डिप्टी पीएम होंगे. सिराजुद्दीन हक्कानी को देश का गृह मंत्री तो मुल्ला उमर के बेटे मुहम्मद याकूब को रक्षा मंत्री बनाया गया है.
नई सरकार में किसी भी बाहरी को नहीं शामिल किया गया है. इससे पहले चर्चा चल रही थी अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और सीईओ अब्दुल्ला अब्दुल्ला को जगह मिल सकती है. इसके अलावा नई सरकार में एक भी महिला को जगह नहीं दी गई है.
मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा का रोल क्या होगा?
अभी तक इस बात की भी कोई घोषणा नहीं हुई है कि सरकार में मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा का क्या रोल होगा. अखुंदजादा को बीते कई सालों से नहीं देखा गया है. तालिबान ने पहले घोषणा की थी अखुंदजादा की मौजूदगी कांधार में ही है और जल्द ही सार्वजनिक रूप से भी दिखाई दे सकते हैं.
बरादर के डिमोशन में पाकिस्तान का रोल!
वहीं बरादर के डिमोशन को लेकर कहा जा रहा है कि इसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का बड़ा रोल हो सकता है. दरअसल पंजशीर को हैंडल करने को लेकर हक्कानी और बरादर गुट में विवाद हो गया था. माना जा रहा है कि पाकिस्तान के प्यारे हक्कानी से विवाद भी बरादर के डिमोशन की वजह हो सकती है.
ISI चीफ की काबुल यात्रा और मुल्ला अखुंद का चुना जाना
ISI चीफ फैज हामिद की काबुल यात्रा में भी नई सरकार की घोषणा का राज छुपा हो सकता है. यही वजह है कि बरादर की जगह मुल्ला अखुंद को सरकार के मुखिया के तौर पर सबसे उपयुक्त माना गया.
पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों पर तालिबानी अत्याचार
दिलचस्प है कि जहां एक तरफ तालिबान की सरकार बनवाने में पाकिस्तान अपना रोल अदा कर रहा है वहीं आम लोग पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. आम अफगानी महिलाएं और पुरुष पाकिस्तान का लगातार विरोध कर रहे हैं. तालिबान लड़ाके उन पर अत्याचार भी कर रहे हैं.
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