तिरूवनंतपुरम. केरल (Kerala) के कोझिकोड में निपाह वायरस (Nipah Virus) संक्रमण के चलते रविवार को एक 12 वर्षीय बच्चे की प्राइवेट अस्पताल में मौत हो गई. बच्चे में इंसेफ्लाइटिस (encephalitis) और मायओकार्डिटिस (myocarditis) के लक्षण थे – मतलब दिमाग और हृदय में मांसपेशियों में सूजन एक साथ. बच्चे का सैंपल टेस्ट के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेजा गया था, जिसे टेस्टिंग में निपाह वायरस पॉजिटिव पाया गया. केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा है कि निपाह वायरस से निपटने में मदद के लिए एक टीम केरल भेजी गई है.
निपाह वापरस को जानिए
निपाह वायरस एक जूनाटिक वायरस (zoonotic virus) है, जो जानवरों से इंसानों से फैलता है. यह वायरस दूषित भोजन या एक दूसरे के संपर्क में आने से भी फैलता है. एनआईवी इंसेफ्लाइटिस (NiV encephalitis) के लिए जिम्मेदार वायरस पैरामायएक्सोविरिडे (Paramyxoviridae), जीनस हेनिपावायरस (genus Henipavirus) फैमिली का आरएनए वायरस है. और यह हेंड्रा वायरस के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है. 1994 में इस वायरस को ऑस्ट्रेलिया में अलग किया गया था.
एचईवी और एनआईवी वायरस चमगादड़ (फ्रूट बैट) में पाए जाते हैं, जिसे फ्लाइंग फॉक्स के नाम से जाना जाता है. संक्रमित फल इस वायरस को अन्य जानवरों में फैला देता है, सुअर, कुत्ते, बकरी, घोड़े और भेड़ भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं. इन जानवरों के साथ संपर्क में आने पर इंसानों में भी यह वायरस फैल सकता है. हालांकि संक्रमित जानवर के शरीर से निकले पसीने और पेशाब से भी यह वायरस फैलता है.
वैश्विक स्तर पर निपाह वायरस के मामले
निपाह वायरस का पहला मामला 1998-99 में मलेशिया और सिंगापुर में सामने आया था. निपाह नाम मलेशिया के एक गांव से लिया गया है, जहां एक व्यक्ति की सबसे पहले वायरस संक्रमण के चलते मौत हुई थी. पहली बार फैले संक्रमण में एक व्यक्ति घरेलू सुअर के संपर्क में आने से संक्रमित हुआ था. कुल 300 लोग संक्रमित हुए थे और 100 से ज्यादा से लोगों की मौत हुई थी. संक्रमण रोकने के लिए 10 लाख से ज्यादा सुअर को मार दिया गया था.
हालांकि उसके बाद से मलेशिया और सिंगापुर में निपाह वायरस के मामले कम देखने को मिले हैं, लेकिन भारत और बांग्लादेश में निपाह (एनआईवी) वायरस के संक्रमण के मामले बहुत ज्यादा सामने आए हैं. बांग्लादेश में यह वायरस 2001, 2003, 2004, 2005, 2007, 2008, 2010 और 2011 में फैला था. भारत में निपाह वायरस का संक्रमण पश्चिम बंगाल और केरल तक ही सीमित है.
भारत में निपाह वायरस के मामले
भारत में पहली बार जनवरी-फरवरी 2001 में निपाह वायरस संक्रमण के मामले पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में सामने आए थे. कुल 66 मामले रिपोर्ट किए गए थे. हालांकि संक्रमण के मृत्यु दर बहुत ज्यादा थी, चार संक्रमितों में से 3 की मौत देखी गई. 2007 में भारत में यह वायरस एक बार फिर फैला, और बांग्लादेश से लगे नादिया जिले में 50 लोग संक्रमित हुए. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक निपाह संक्रमण के चलते 5 लोगों की मौत हुई थी.
निपाह को भारत में पहचान मई-जून 2018 में मिली, जब केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस के 18 मामले सामने आए जिनमें से 17 लोगों की मौत हो गई. इनमें वे मामले भी शामिल थे, जिनकी पुष्टि लैब टेस्ट में नहीं हो पाई थी.
निपाह वायरस के लक्षण, और यह कितना खतरनाक
एनआईवी संक्रमण में मध्यम और गंभीर बीमारी देखने को मिलती है. इससे संक्रमित व्यक्ति के मस्तिष्क में सूजन होने लगती है और यह मौत का कारण भी बन सकती है. व्यक्ति के वायरस के संपर्क में आने के 4 से दो हफ्ते के बीच लक्षण नजर आने लगते हैं. मरीज अक्सर बुखार और सिरदर्द की शिकायत करता है. यह समस्या तीन दिन से कई हफ्तों तक हो सकती है. साथ ही मरीज में सांस संबंधी परेशानी, खांसी, गले की समस्या और सांस लेने में दिक्कत भी इसके लक्षणों में आम हैं.
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