छत्तीसगढ़

बड़ा फैसला: पति पर अलग रहने दबाव डालना क्रूरता

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बुढ़ी मां से अलग रहने के लिए पति पर दबाव बनाने के एक मामले को क्रूरता कहा है। न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायाधीश अरविंद सिंह चंदेल की बेंच ने ये टिप्पणी की है। न्यायाधीशों ने नरेंद्र बनाम के मीणा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है, जिसमें यह माना गया था कि अगर पत्नि बुजुर्ग माता-पिता से या किसी भी उचित बहाने/आधार के बिना परिवार से अलग रहने के लिए पति पर दबाव डालती है तो वह क्रूरता मानी जाएगी। पत्नि द्वारा लिखित बयान के आधार पर अदालत ने कहा प्रतिवादी के बयान का पूरा विश्लेषण स्पष्ट रूप से समझा जाएगा कि प्रतिवादी अपीलकर्ता/पति के साथ रहने के लिए तैयार नहीं है। उसने यह भी सुझाव दिया है कि सास को वृद्धावस्था के लिए भेजा जाना चाहिए या तलाक के बिना दोनों (पति-पत्नि) अलग-अलग रह सकती हैं। प्रतिवादी विवादास्पद दायित्वों और विवाह के संस्थान के प्रति उदासीन और आकस्मिक प्रतीत होता है जो दोनों पक्षों द्वारा इसका सम्मान आवश्यक है। पति द्वारा दायर की गई अपील की अनुमति देते हुए बेंच ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 (1) (आई-ए) के तहत पति पर पत्नि द्वारा मानसिक क्रूरता को साबित मानते हुए शादी को भंग कर दिया।

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