रिपोर्ट्स बताते हैं कि जिन लोगों ने टीके की दोनों डोज भी ले ली है, वह लोग भी संक्रमण की चपेट में आ जा रहे हैं। ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल लगातार बना हुआ है कि आखिर वैक्सीन लगवाने वालों को कोरोना का संक्रमण क्यों हो रहा है और अगर लोग संक्रमित हो ही रहे हैं तो वैक्सीनेशन कराने से क्या लाभ है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण के बाद भी लोगों का संक्रमित होना निश्चित ही चिंता का विषय है, इसके लिए कोरोना के नए वैरिएंट्स को मुख्य कारक माना जा सकता है। कोरोना के डेल्टा जैसे नए वैरिएंट्स शरीर में बनी प्रतिरक्षा को आसानी से चकमा देने में सफल हो जा रहे है, यही कारण है कि इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। तो क्या ऐसी जटिलताओं से मुकाबले के लिए वैक्सीन को सुरक्षात्मक नहीं माना जा सकता है? क्या टीकारण करने और न कराने वाले लोगों में कोई फर्क नहीं है? आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप जारी
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मौजूदा समय की बात करें या भारत में दूसरी लहर की, संक्रमण के मामले उन स्थानों पर अधिक देखने को मिल रहे हैं, जहां पर डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप अधिक है। ऐसे में टीकाकरण करा चुके लोगों में भी संक्रमण के मामले देखे जा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि जिन लोगों ने वैक्सीन की केवल एक डोज लगवाई है उनमें संक्रमण के मामले, पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों के मुकाबले कम देखे जा रहे हैं। दोनों डोज ले चुके लोगों में इसका खतरा फिर भी कम है।
नए वैरिएंटस प्रतिरक्षा को दे रहे हैं चकमा
विशेषज्ञ कहते हैं, किसी भी रोग के लिए बनी वैक्सीन को 100 फीसदी प्रभावी नहीं माना जा सकता है। कोविड-19 की रोकथाम के लिए तैयार किए गए टीके अध्ययनों में असरदार साबित हुए हैं। कोरोना की गंभीर बीमारी और इससे होने वाली मौत को रोकने में वैक्सीन को काफी असरदार माना जा रहा है, हालांकि बावजूद इसके टीकाकरण करा चुके लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है। कोरोना की सभी वैक्सीन वायरस के मूल वैरिएंट को लक्षित करके तैयार की गई हैं। अब चूंकि म्यूटेशन के बाद मूल से हटकर कहीं अधिक संक्रामक वैरिएंट्स के मामले सामने आ रहे हैं, इस वजह से जिन लोगों ने टीकाकरण करा लिया है, वह भी संक्रमण की चपेट में आ जा रहे हैं।
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