अयोध्या: रामनगरी अयोध्या में 492 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद अब रामलला को उनके मूलभूत सुविधाएं ट्रस्ट मुहैया करा रहा है. 90 के दशक से टेंट में रहने वाले भगवान रामलला को लगभग 28 वर्षों बाद अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किया गया.
राम मंदिर ट्रस्ट ने संगीत मय झूलनोत्सव का आयोजन राम जन्मभूमि परिषर में किया है. रामलला को शाम को संगीत के रूप में कजरी और पद सुनाए जा रहे हैं. इससे पहले रामलला लकड़ी के साधारण झूलों पर विराजमान कराए जाते थे, लेकिन अब श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से 21 किलो चांदी के झूले भगवान रामलला को समर्पित किए गए हैं.
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा विवादित ढांचे में जब रामलला विराजमान थे. वहां पर संगीत का कार्यक्रम चलता था, लेकिन ढांचा गिरने के बाद वहां पर सब बंद रहा.
शताब्दियों पश्चात चांदी के झूले पर सवार हुए
भगवान श्री रामलला सरकार।श्रावण पंचमी के शुभ दिन पर जन्मभूमि स्थित अस्थायी मन्दिर परिसर में झूले पर श्री
रामलला सरकार संग चारों भाई ले रहे हैं झूलनोत्सव का आनंद! pic.twitter.com/KKSQge28va— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) August 13, 2021
इस वर्ष ट्रस्ट ने चांदी का झूला बनाकर के रामलला को समर्पित किया है. इससे लोगों में बड़ा उत्साह हुआ. दास ने बताया कि रामलला के परिसर में झूलनोत्सव का आनंद लेते हुए भगवान रामलला को अब संगीत भी सुनाया जा रहा है.
बता दें कि अयोध्या में हर वर्ष श्रावण शुक्ल तृतीया को झूलन महोत्सव की शुरुआत होती है. अयोध्या के सभी प्रमुख मंदिरों से विग्रह मणि पर्वत तक पालकियों में गाजे बाजे के साथ जाते हैं और वहीं पर झूला झूलते हैं.
मणि पर्वत वही जगह है जहां माता सीता झूला झूलने आया करती थीं, इसीलिए हर वर्ष श्रावण शुक्ल तृतीया को यहां बड़े महोत्सव का आयोजन होता है और यहां भगवान के विग्रह द्वारा झूला झूलने के साथ ही पूरे देश में झूलन महोत्सव शुरू हो जाता है.
मणि पर्वत पर मंदिरों के विग्रह द्वारा झूला झूलने के बाद मंदिरों में झूले पड़ते हैं और भगवान को झूला झुलाया जाता है और उन्हें सावन के गीत सुनाए जाते हैं. इस बीच हर्षोल्लास का माहौल रहता है, जिसे देखने के लिए लाखों लोग अयोध्या आते हैं
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