कोरबा: भाजपा प्रदेश योजना कार्यक्रम प्रभारी झुझो व किसान मोर्चा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राजेश यादव ने सडक़ किनारे ठेकेदार की लापरवाही से खेतों में राखड़ आ जाने से पीडि़त किसानों को मुआवजा देने की मांग की है।
किसानों बगदेवा (पतरापाली) से कटघोरा एनएच 130 में तकरीबन साढ़े आठ सौ करोड़ के फोरलेन सडक़ का निर्माण चल रहा है। जिस कार्य मे लगी मेसर्स दिलीप बिल्डकॉन कंपनी के लापरवाही की वजह से सडक़ किनारे पर स्थित दर्जनों किसानों की खेती राखड़ की भेंट चढ़ गई।
जहां फोरलेन निर्माण हेतु निर्माणाधीन सडक़ में ड्प किये गये राखड़ बरसात में बह कर किसानों के खेतों में जा पटा और बगदेवा से चैतमा के बीच के दर्जनों किसानों की सैकड़ों एकड़ खेतों में लगी फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई। जिसमें अधिक नुकसान ग्राम मुनगाडीह के किसानों को हुई है जहां के किसान हरीशचंद्र, कृपाल, गीताराम, घासीराम, बेचू सिंह, श्यामलाल, रामायण, रामनाथ, बिहारी, जीवन, कृष्णचंद, अमित कुमार, पांचोबाई, बहोरन, रामसिंह, कंवलसिंह, आनंदराम, संतराम, अवधराम, विश्राम, सहसराम सहित लगभग 30 किसानों की खेतों में लगी फसल राखड़ पटने से बर्बाद हो गई है।
इस प्रकार फोरलेन निर्माण कंपनी की लापरवाही ने उन किसानों के माथे पर गहरी चिंता की लकीरें उकेर दी है क्योंकि अब किसानों के लिए दूसरी फसल बोनी का समय काफी आगे निकल चुका है। वहीं अनेक किसान ऐसे भी है जो किसानी पर ही निर्भर है और खेतों में फसलों की उपज के बदौलत परिवार का पेट पालते है।
जहां उनके खेतों में राखड़ पटने के परिणामस्वरूप मेहनत व खर्च कर लगाई गई फसल नष्ट होने से उनके सामने विकट स्थिति निर्मित है। इस विषय पर प्रभावित किसानों का कहना है कि सडक़ निर्माण कार्य के दौरान कंपनी द्वारा निर्माणाधीन सडक़ पर भारी मात्रा में राखड़ को डंप कर छोड़ दिया गया था जो भारी बारिश में बहकर उनके खेतों में जा पटा जिससे लगाई गई धान की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई।
वही खेत भी उपजाऊ रहित हो गया जिसे उपजाऊ योग्य बनाने के लिए खेतों से राखड़ के साथ एक परत मिट्टी भी निकालनी पड़ेगी तब कहीं जाकर भूमि फसल बोने लायक हो पाएगा। जिसके लिए काफी खर्च आएगा किंतु जवाबदार ठेका कंपनी इस ओर ध्यान नही दे रहा है और ना ही प्रशासन ने इस ओर संज्ञान लिया।
फिलहाल इस मामले को भाजपा नेता राजेश यादव ने ग्भीरता से लेते हुए उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए। किसानों को त्वरित न्याय दिलाने की बात कही गई है जिससे अन्नदाता किसानों के खेतों में हुए नुकसान को लेकर उसकी भरपाई हो सके।
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