महासमुंद: झोपड़ी में आग लगने बाद क्षतिपूर्ति राशि के लिए एक बुजूर्ग पिछले पांच महीने से कलेक्टोरेट व तहसीदार कार्यालय का चक्कर काट रहा है। उसकी स्थ्ति इतनी दयनीय है कि वह अपने गांव से जिला मुख्यालय लिफ्ट लेकर आता और काम की जानकारी लेने के बाद फिर से वापस अपने गांव चला जाता है।
यह सिलसिला पिछले पांच महीने से चल रहा है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है, जबकि कलेक्टर ने वृद्ध के सौंपे ज्ञापन पर तहसीलदार को उचित कार्रवाई के लिए आदेश भी दिया है, लेकिन आज तक उनके खाते में रुपए नहीं आया है।
मामला बरोंडाबाजार का है। जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम बरोंडाबाजार निवासी जैतराम साहू (70) पिछले पांच महीने से परेशान है। उन्होंने बताया कि 6 मार्च रात 8 बजे अचानक झोपड़ी में आग लग गई। आग लगने की वजह से झोपड़ी में रखा सामान नगदी रकम 2700, बैंक पासबुक, कान यंत्र, गैस सिलेंडर का बुक, कपड़ा व बर्तन जलकर खाक हो गया।
अब जीवन यापन के लिए कुछ नहीं बचा, दूसरों से मांग कर कपड़ा पहन रहूं। आगजनी की क्षतिपूर्ति दिलाने 12 मार्च को कलेक्टर से मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा था। कलेक्टर ने 27 मार्च को क्षतिपूर्ति राशि दिलाने की कार्रवाई के लिए तहसीदार को आदेशित किया है। आज पांच महीने हो गए है, अभी तक न तो कार्रवाई हुई है और ना ही खाते में पैसा आया है। तहसीलदार के दफ्तर जाने पर एक ही जवाब मिलता है, कार्रवाई की जार ही है। आपके खाते में रुपए आ जाएंगे।
पीएम आवास के लिए भटक रहा बुजूर्ग, सरंपच नहीं लिखता नाम
बुजूर्ग जैतराम ने बताया कि गांव में संचालित शासन की एक भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। सरपंच से कई बार आग्रह करने के बावजूद पीएम आवास सहित अन्य योजना का लाभ नहीं दिला रहा है। आगजनी से झोपड़ी जलकर खाक हो गई है। पीने के पानी के लिए दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
सभी के घर के बाहर नल जल योजना के तहत नल लगा हुआ है, लेकिन मेरे झोपड़ी के सामने व आसपास एक भी नल नहीं है। सरपंच से कई बार निवेदन भी किया, लेकिन नल जल योजना का लाभ भी नहीं दे रहा है।
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