वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद कुछ लोगों में एंटीबॉडी नहीं बन रही है। हालांकि ये आश्चर्य की बात नहीं है। कुछ लोगों की बॉडी ऐसी होती है कि वह एंटीबॉडी नहीं बना सकती। शहर के निजी अस्पतालों में टेस्ट करवाने वाले 20 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी नहीं बनी है। ऐसे लोगों को वैक्सीन लगाने के बाद भी विशेष सावधानी बरतनी होगी। यही नहीं जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई हैं, ऐसे लोगों को भी नियमित मास्क पहनने की जरूरत है।
राजधानी में कुछ लोग वैक्सीन की सिंगल या दोनों डोज लगाने के बाद गुपचुप तरीके से एंटीबॉडी टेस्ट करा रहे हैं। प्रदेश में एंटीबॉडी टेस्ट की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद कुछ लैब वाले चोरी-छिपे यह टेस्ट कर रहे हैं। वैक्सीन लगाने के बाद लोगों को लगता है कि एंटीबॉडी टेस्ट कराना चाहिए। कई लोग निजी अस्पतालों में एंटीबॉडी कराने के लिए पहुंच रहे हैं।
इनमें ज्यादातर लोगों में एंटीबॉडी तो बनती है, लेकिन 10 से 20 फीसदी लोगों में नहीं बनती। हार्ट सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू व प्लास्टिक सर्जन डॉ. कमलेश अग्रवाल का कहना है कि कई लोगाें के शरीर में इम्युनिटी बनाने की क्षमता नहीं होती। यदि किसी को डायबिटीज हो, गंभीर बीमारी से हाल ही में उबरा हो तो ऐसे लोगों में एंटीबॉडी नहीं बनती। डॉक्टरों का कहना है कि इम्युनिटी मापने का एंटीबॉडी ही अकेला तरीका नहीं है। सेल मीडिएटेड सिस्टम के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि अगर शरीर में एंटीबॉडी नहीं भी हैं तो यह सिस्टम बॉडी में विकसित होता है।
इसमें बॉडी के सेल वायरस को पहचानते हैं और जब वह बॉडी के संपर्क में आते हैं तो बॉडी खुद अपनी सुरक्षा करती है। एंटीबॉडी वक्त के साथ कम होती रहती है। एंटीबॉडी वैक्सीन पर ही निर्भर नहीं है बल्कि उससे पहले बॉडी का कैसा एक्सपोजर है, उस पर भी निर्भर करता है। वैक्सीनेशन के माध्यम से जहां खुद की, परिवार की व समाज की सुरक्षा हो रही है। इसलिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा टीके लगाना चाहिए।
केस-1
52 वर्षीय एक व्यक्ति को वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी। इन्होंने दूसरी डोज के डेढ़ माह के बाद एंटीबॉडी टेस्ट कराया। रिपोर्ट आई तो वे दंग रह गए, क्योंकि एंटीबॉडी शून्य थी। डॉक्टरों ने कहा कि कुछ लोगांे में एंटीबॉडी नहीं बनती।
केस-2
शहर के ही एक 47 वर्षीय व्यक्ति की एंटीबॉडी शून्य मिली। उन्हींने मई में पहली व जून के पहले हफ्ते में दूसरी डोज लगाई थी। जुलाई में एंटीबाॅडी टेस्ट कराने की सोची। रिपोर्ट से वे परेशान हो गए कि ऐसे कैसे हो गया।
प्रदेश में 1.14 करोड़ डोज टीके
प्रदेश में 11476766 डोज लगाई जा चुकी है। इसमें 93.38 लाख को पहली व 21.39 लाख लोगांे को दूसरी डोज लगाई जा चुकी है। हालांकि दूसरी डोज केवल 6 फीसदी लोगों को लगी है, जो तीसरी लहर में खतरनाक साबित हो सकता है। 30 फीसदी लोगों को पहली डोज लगी है। विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर से सुरक्षा के लिए 50 फीसदी लोगों को दूसरी डोज जरूरी है। हालांकि 65 से 70 फीसदी लोगों के वैक्सीनेशन से हर्ड इम्युनिटी आती है।
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