नई दिल्ली. कोरोना वायरस से संबंधित एक नए अध्ययन में कहा गया है कि 30 दिनों की अवधि के भीतर कम से कम 75 प्रतिशत आबादी के एकल खुराक टीकाकरण से उस जिले की मृत्यु दर में 37 प्रतिशत की कमी आ सकती है.
लैंसेट जर्नल में प्रकाशित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा की गई मॉडलिंग स्टडी में आगे कहा गया है कि एक महीने में तीन-चौथाई आबादी का टीकाकरण किसी जिले में कोरोना के लक्षण-संबंधी संक्रमणों को 26 प्रतिशत तक कम कर सकता है.
अध्ययन में कहा गया है कि एक क्षेत्र में कोरोना वायरस की दो लहरों के बीच समय के अंतराल के दौरान 0.5 प्रतिशत की वैल्यू को पार करने वाले कोविड टेस्ट का पॉजिटिविटी रेट भविष्य में आने वाली लहर के लिए सतर्क करने में मदद कर सकता है.
अध्ययन में किसी नई लहर की शुरुआत में कोरोना वायरस को स्थानीय स्तर पर बढ़ने से रोकने के लिए, जैसे ही कोरोना परीक्षण सकारात्मकता 0.5 प्रतिशत की सीमा को पार करती है, एक काल्पनिक क्षेत्र में ‘त्वरित जवाबी टीकाकरण’ की रणनीति के इस्तेमाल का प्रस्ताव रखा गया है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोगों के प्रमुख डॉ समिरन पांडा के हवाले से कहा, ‘इस तकनीक के अनुसार, हमने एक टीकाकरण रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया है जो एकल-खुराक टीकाकरण के साथ व्यापक संभव क्षेत्र को प्राथमिकता देता है, जिसमें 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की 75% आबादी को एक खुराक के साथ कवर करने में एक महीने का समय लगता है.
हमने पाया कि इस तरह के तेजी से और केंद्रित टीकाकरण की कोशिश से अकेले एक जिले में, जहां एक और कोविड लहर की शुरुआत हो रही है, मृत्यु दर को 37% तक कम किया जा सकता है.’
डॉ पांडा के मुताबिक, भारत में अन्य जिलों के लिए उपयुक्त परीक्षण सकारात्मकता दर की सीमा निर्धारित की जा सकती है, जो एक नई लहर की शुरुआत में पुन: संक्रमण को कम करने के लिए तेजी से टीकाकरण रणनीति के इस्तेमाल की इजाजत देती है.
इसके अलावा, अनिवार्य मास्क पहनने, सभाओं पर प्रतिबंध और घर पर रहने जैसे तरीके त्वरित प्रतिक्रिया वैक्सीन के साथ होने पर कोरोना वायरस के प्रसार को 25 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं.
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