रायपुर : गुरूवार को बघेल केबिनेट द्वारा बहुप्रतिक्षित निगम मंडल में नियुक्तियों को लेकर लम्बे इंतजार के बाद हुई नियुक्तियों की सूची जारी होने केे बाद वरिष्ठ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नाराजगी का माहौल है। ऐसे अनेक कांग्रेसी कार्यकर्ता हैं जो लम्बे समय से या दूसरे शब्दों में कहें तो शुरू से ही कांग्रेस पार्टी से जुडक़र हाईकमान के आदेश का अक्षरश: पालन करते रहे हैं। (निगम मंडल)
अन्य दलों से कांग्रेस में शामिल हुए लोगों को जिस तरीके से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ताजपोशी कर निगम मंडल के अध्यक्ष पदों पर नियुक्त किया है, उससे कांग्रेस में अपमान जनक स्थिति का निर्माण हो गया है। वरिष्ठ कांग्रेसी अपने-आप को आहत महसूस कर रहे हैं। कु छ नेता मुख्यमंत्री बघेल द्वारा चयनित निगम मंडलों की अध्यक्षों की सूची का मुद्दा दिल्ली हाई कमान तक ले जाने की योजना बना रहे हैं।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरूण भद्रा को उम्मीद थी कि उन्हें किसी निगम मण्डल में चेयरमेन बनाया जाएगा लेकिन मात्र सदस्य बनाकर खानापूर्ति कर दी गई लेकिन उन्होंने इसे प्रेम से खारिज कर दिया है. वाटसअप पर संतुलित टिप्पणी करते हुए उन्होंने गुस्सा जाहिर किया. लिखा कि ‘मैं पद के लिए पार्टी से नही जुड़ा. सीएम सर ने मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी, उसे पूरी तरह से निभाया.
इसलिए नये शासकीय पद व शासकीय सुविधा को स्वीकार नही कर रहा हूं. यह किसी समर्पित साथी को देना ही सार्थक होगा.’ भद्रा को कांग्रेस में 40 साल से ज्यादा हो गए. पार्टी ने उन्हें बस्तर संभाग की जिम्मेदारी दी थी और वहां पर छप्परफाड़ विजय मिली थी. असम चुनाव में भी अरूण भद्रा ने महीनों समय और पसीना बहाया लेकिन उन्हें मात्र सदस्य बनाने से निराशा हुई है।
विरोध का स्वर कोरबा जिले से फूटा है जहां राज्य महिला आयोग की सदस्य नियुक्त अर्चना उपाध्याय की खिलाफत शुरू हुई है. वर्षों से कांग्रेस का दामन थामने वाली अर्चना उपाध्याय ने बीते वर्षों में कांग्रेस पार्टी से किनारा कर जोगी कांग्रेस का दामन थाम लिया था लेकिन उन्हें पद दे दिया गया. पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं नगर पालिक निगम में तीन बार के कांग्रेस पार्षद रहे महेंद्र सिंह चौहान ने इस पर अपना विरोध दर्ज करा दिया है.
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उन्होंने तो सोशल मीडिया में यह तक कह दिया कि भले उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाए लेकिन उन्हें अर्चना मंजूर नहीं। जोगी कांग्रेस में रहे या वहां से आकर कांग्रेस में पुन: आने वाले नेताओं को लाल बत्ती मिलना भी कांग्रेस के वफादार सिपाहियों को हजम नही हो रहा. इनका कहना है कि क्या पार्टी को धोखा देना, दलबदल करना, बडे नेताओं की चापलूसी करना ही एकमात्र योग्यता रह गई है क्या.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दीपक दुबे जिन्होंने पार्टी को 50 साल से ज्यादा दे दिए, को सदस्य तक नही बनाया गया. जबकि वे सालों पीसीसी के उपाध्यक्ष, सेवा दल के पदाधिकारी, पूर्व पार्षद भी रह चुके हैं. हालांकि उन्होंने साफ कर दिया कि मैं पद के लिए पार्टी में नहीं हूं. मुख्यमंत्री के विवेक का फैसला है. उन्होंने जरूर कुछ न कुछ अच्छा सोच रखा होगा.
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