सऊदी अरब की राजधानी रियाद के दक्षिणपूर्व क्षेत्र में स्थित एक गोला बारूद सेंटर में विस्फोट (Blast) हुआ है. इस सेंटर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था. सऊदी राज्य टेलीविजन ने बुधवार को इस घटना की जानकारी दी. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में खार्ज (Kharj) के पास धुएं के गुबार को उठते हुए देखा जा सकता है. टीवी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हादसे में कोई भी हताहत नहीं हुआ है. लेकिन इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि ये एक दुर्घटना थी या फिर हमला किया गया.
खार्ज प्रिंस सुल्तान एयरबेस (Prince Sultan Air Base) के काफी करीब है, जहां पर अमेरिकी सेना (US Military) का सैन्य बेस है.
हालांकि, अभी तक अमेरिकी सुरक्षा बलों ने इस घटना को लेकर कोई तत्काल टिप्पणी नहीं की है. लेकिन पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं. इस तरह के अधिकतर हमले यमन के हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) द्वारा किए जाते रहे हैं. लेकिन खार्ज सऊदी अरब के मध्य में स्थित है, जिससे ये माना जा रहा है कि हूतियों के पास इतनी दूर तक हमला करने वाले हथियार नहीं है. गौरतलब है कि हूती विद्रोही अक्सर ही यमन से लगने वाली सीमा के नजदीक बसे सऊदी ठिकानों को निशाना बनाते रहे हैं.
सऊदी अरब की यूनिवर्सिटी को हूतियों ने बनाया निशाना
गौरतलब है कि अप्रैल के महीने में यमन की सीमा से सटी एक सऊदी यूनिवर्सिटी में आग लग गई थी. इस यूनिवर्सिटी पर हूती विद्रोहियों ने हमला किया था. सऊदी अरब के नेतृत्व में यमन में युद्ध लड़ रहे गुट ने एक बयान में कहा कि मिसाइलों और ड्रोन्स को हवा में ही ढेर कर दिया गया. इससे जीजान यूनिवर्सिटी के कैंपस में मलबा बिखर गया और आग लग गई. हालांकि, जल्द ही इस आग पर काबू पा लिया गया. इसने कहा कि इस हमले में किसी की मौत नहीं हुई है और अभी तक किसी के घायल होने की खबर भी नहीं. बयान में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों को हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था.
यमन में जंग की वजह से बिगड़े हालात
बता दें कि यमन में बिगड़ते हालात को देखते हुए सऊदी अरब के नेतृत्व में अरब देशों के एक गठबंधन ने 2014 के बाद से ही हूतियों के खिलाफ जंग छेड़ी हुई है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि इस युद्ध के चलते अब तक 2,33,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें से 1,31,000 मौतों की सीधी वजह भुखमरी, स्वास्थ्य सेवाओं का ना होना और बुनियादी ढांचें की गैरमौजूदगी है. यमन में संघर्ष की शुरुआत की वजह सरकार का कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार था, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे.
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