रायपुर: पूर्व मंत्री व भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप ने ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पतालों को सरकारी अनुदान देने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के परस्पर विरोधाभासी बयानों पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार में ढाई-ढाई साल के फ़ार्मूले को लेकर कांग्रेस में मचा सत्ता-संघर्ष अब जगज़ाहिर होता जा रहा है।
कश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार अपने गठन के साथ ही कई अंतर्विरोधों से घिरी रही है और शुरुआती तमाम ना-नुकुर के बाद अब यह द्वंद्व खुलकर सामने आ रहा है। यह आश्चर्य की बात है कि विभागीय मंत्री से इस मुद्दे पर कोई चर्चा किए और उन्हें विश्वास में लिए बिना इस तरह की घोषणा करके मुख्यमंत्री बघेल अपनी ही सरकार के मंत्री सिंहदेव की असहमति को दरकिनार करते नजऱ आ रहे हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल की घोषणा के बाद इस कॉन्सेप्ट को सार्वजनिक तौर पर ख़ारिज़ करके मंत्री सिंहदेव ने यह साफ़ कर दिया है कि प्रदेश सरकार में तालमेल का पूरी तरह अभाव है। क्या वन मैन शो की मानिंद सरकार चला रहे मुख्यमंत्री बघेल अपनी कैबिनेट में किसी भी विषय पर विचार-विमर्श करना ज़रूरी नहीं समझते?
कश्यप ने कहा कि महत्वपूर्ण विभागीय बैठकों में स्वास्थ्य मंत्री को नहीं बुलाए जाने, सरकार की निर्णय-प्रक्रिया के कई मौक़ों पर मंत्री सिंहदेव को लगभग अलग-थलग करने और कोविड रोकथाम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में मुख्यमंत्री बघेल द्वारा अपने प्रतिनिधि के तौर पर भी स्वास्थ्य मंत्री को शामिल नहीं होने देने का आशय क्या यह नहीं है कि प्रदेश सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है।
भाजपा प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि एक तरफ़ जब प्रदेश में कोरोना महामारी ने तांडव मचा रखा है, तब बजाय सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, जि़ला अस्पतालों में चिकित्सकों के 30 फ़ीसदी खाली पदों पर भर्ती करके चरमरा चुकी स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने और स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक बेहतर बनाने पर विचार-विमर्श करने के ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पतालों को लेकर प्रदेश सरकार आपस में ही तू-तू, मैं-मैं करती नजऱ आ रही है।
कश्यप ने कहा कि एक तरफ़ कांग्रेस निजीकरण को लेकर केंद्र सरकार के खि़लाफ़ नित-नया बेसुरा प्रलाप कर रही है और दूसरी तरफ़ उसी कांग्रेस के मुख्यमंत्री बघेल को सरकारी असपतालों के बजाय अब निजी अस्पतालों पर भरोसा करते देखना यक़ीनन हैरतभरा है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि सरकार आर्थिक संकट के दलदल में धँसी हुई है तो फिर निजी अस्पतालों के लिए अनुदान का इंतज़ाम वह कहाँ से करेगी, यह मुख्यमंत्री बघेल प्रदेश को बताएँ। कश्यप ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि हर मोर्चे परअपनी शर्मनाक विफलताओं से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए प्रदेश सरकार यह महज़ शोशेबाजी कर रही है क्योंकि एक तो भाजपा ने प्रदेश सरकार के काले कारनामों को लेकर प्रदेशव्यापी जनजागरण अभियान चला रखा है जिससे प्रदेश सरकार को अपनी ज़मीन खिसकती साफ़ नजऱ आ रही है; और दूसरे ढाई-ढाई साल के फ़ार्मूले को लेकर मुख्यमंत्री बघेल यह जताने का प्रयास कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर मंत्री सिंहदेव की अपनी सरकार में कोई राजनीतिक और निर्णायक हैसियत नहीं रही है।
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