नई दिल्ली. देश में कोरोना से निपटने के लिए कोरोना वैक्सीनेशन (Coronavirus Vaccination) पर जोर दिया जा रहा है. देशभर में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन की डोज दी जा रही है लेकिन अभी भी वैक्सीन लगवाने को लेकर लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो रहे हैं. कोरोना होने के बाद ठीक हुए लोगों को भी एक अंतराल के बाद वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जा रही है.
ऐसे में कोरोना संक्रमित होने और ठीक होने के तुरंत बाद अगर वैक्सीन लगवा ली है तो इसके असर को लेकर भी लोगों के मन में कई चिंताएं हैं. हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना ठीक होने के तुरंत बाद वैक्सीन लगवाने का असर शरीर पर पड़ना तय है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि इसका काफी पॉजिटिव प्रभाव देखने को मिल रहा है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल साइंसेज में ऑपरेशन ग्रुप फॉर कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. एन के अरोड़ा ने बताया कि रॉकफेलर यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च बताती है कि कोरोना से उबरने वाले मनुष्य के शरीर में एंटीबॉडी पर्याप्त मात्रा में बन जाती हैं. जिसके अनुसार उसकी प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत रहती है. करीब एक साल तक एंटीबॉडी भी शरीर में रहती हैं लेकिन अगर इस दौरान वैक्सीन भी ले ली है तो यह फायदेमंद हो सकता है.
कोरोना से बनी एंटीबॉडी के साथ ही अगर वैक्सीन भी लगवाई जाती है तो यह एंटीबॉडी की क्षमता को और भी ज्यादा बढ़ा देती है जिसका सीधा असर कोरोना के खिलाफ एक मजबूत दीवार बनाने में आता है. जिसकी वजह से उस पर कोरोना के किसी भी वेरिएंट का प्रभाव मुश्किल हो जाता है.
डेल्टा सहित अन्य वेरिएंट पर भी हो सकती है कारगर
डॉ. अरोड़ा कहते हैं कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद वैक्सीन लगवाना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. भारत में अभी इस पर रिसर्च चल रहा है लेकिन अनुमान है कि कोरोना से पैदा हुई एंटीबॉडी और फिर वैक्सीन से मिली एंटीबॉडी के बाद शरीर पर डेल्टा के साथ ही अन्य सभी खतरनाक वैरिएंट के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है. ये भी पूरी तरह संभव है कि मरीज के ऊपर किसी भी वेरिएंट का खतरा गंभीर न रहे.
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