नई दिल्ली: कई विपक्षी दलों के नए संसद भवन के निर्माण के विरोध को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने परोक्ष रूप से राजनीति करार दिया है। उन्होंने कहा कि नया संसद भवन बनाने का आग्रह संसद भवन के दोनों सदनों ने सरकार से किया था। इसके बाद हुई सामान्य प्रयोजन समिति (जनरल पर्पज कमेटी) में भी किसी ने नया संसद भवन बनाने का विरोध नहीं किया।
स्पीकर ने कहा कि इसमेंं कोई संदेह नहीं है कि वर्तमान संसद भवन ऐतिहासिक है। इससे आजादी की यादें जुड़ी हैं। यह देश के संविधान निर्माण का भी गवाह है। हालांकि यह भी सच्चाई है कि वर्तमान संसद भवन मेंं विस्तार की गुंजाइश नहीं बची है। इसमें हर संभव आंतरिक परिवर्तन पहले ही हो चुके हैं। अब हमें ग्रीन बिल्डिंग की जरूरत है। कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक की जरूरत है।
स्पीकर ने कहा कि संसद के बार कौन क्या कहता है, इस पर बात करना उनके दायरे में नहीं है। हां, जहां तक नए संसद भवन के निर्माण की बात है तो इसे संसद के दोनों सदनों का समर्थन प्राप्त है। खुद दोनों सदनों ने सरकार से इस आशय का आग्रह किया था। इसी आग्रह के बाद सरकार से इस आशय की सिफारिश की गई।
अक्टूबर 2022 तक निर्माण पूरा
स्पीकर ने बताया कि कोरोना के कारण नए संसद भवन के निर्माण के लक्ष्य में हम 16 दिन पीछे हैं। कोरोना की दूसरी लहर से पहले हम 27 दिन आगे थे। हालांकि इस दूरी को पूरा कर लिया जाएगा और आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर नया संसद भवन बन कर तैयार हो जाएगा।
संसदीय कमेटी की ऑनलाइन बैठकें संभव नहीं
कोरोना काल में संसदीय कमेटियों की ऑनलाइन बैठकें न होने के संदर्भ में स्पीकर ने कहा कि नियम इसकी इजाजत नहीं देता। कार्यवाही नियम 266 के मुताबिक संसदीय कमेटियों की बैठक गोपनीय होती है। अगले महीने नियम समिति की बैठक बुलाई जाएगी। अगर इस समिति में नियम में बदलाव का सुझाव दिया गया तो इससे जुड़ा मसौदा संसद में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नियमों में बदलाव के बिना ऑन लाइन बैठकें संभव नहीं हैं।
कार्य उत्पादकता मेंं रिकार्ड बढ़ोत्तरी
स्पीकर ने कहा कि वर्तमान लोकसभा ने कार्यवाही के समय, चर्चा, विधेयक पारित कराने के मामले में ऐतिहासिक रिकार्ड बनाया है। कोरोना काल में दो सत्र आयोजित हुए, इसमेंं कार्य उत्पादकता 167 फीसदी रही। उन्होंने कहा कि वर्तमान लोकसभा ने हर मामले में पिछली लोकसभा के मुकाबले बेहतर कार्य किया है।
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