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क्या कोरोना से ठीक होने के बाद जा सकती है आंखों की रोशनी? बता रहे हैं डॉक्टर

नई दिल्ली. कोरोना की दूसरी लहर (Corona 2nd Wave) अब धीरे-धीरे थमती नज़र आ रही है. कोरोना से संक्रमित मरीज़ों की संख्या में भी कमी देखी जा रही है. लेकिन चिंता की बात ये है कि कोरोना से ठीक होने के बाद में लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी मरीज़ों को पूरी तरह फिट होने में लंबा वक्त लग सकता है. ऐसी परेशानियों को डॉक्टर ‘लॉन्ग कोविड’ का नाम दे रहे हैं. यानी वो बीमारियां जो कोरोना के बाद लोगों को लंबे समय तक परेशान करती हैं. न्यूज़ 18 ने मरीज़ों की इन्हीं दिक्कतों को लेकर एक सीरीज़ की शुरुआत की है. इसके तहत कोरोना से होने वाली बीमारियों के बारे में डॉक्टरों की राय और उससे जुड़े समाधान के बारे में चर्चा की जाएगी.आज इस खास सीरीज़ में दिल्ली के मणिपाल हॉस्पिटल के डॉक्टर वानुली बाजपेयी बता रहे हैं कि कोरोना वायरस मरीज़ों की आंखों पर कैसे असर करता है. डॉक्टर वानुली ने विस्तार से आंखों के बारे में बताया. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि कोरोना के मरीज़ इन परेशानियों से कैसे उबर सकते हैं.

आंखों पर असर
वैसे कोविड -19 संक्रमण के दौरान या बाद में आंखें अक्सर प्रभावित नहीं होती हैं. हालांकि कुछ मरीजों में कंजंक्टिवाइटिस जैसे लक्षण दिखते हैं. बहुत कम मरीज़ों को लंबे समय तक आंखों में नुकसान रह सकता है. बाजपेयी ने media को बताया, ‘कोविड के दौरान सबसे आम लक्षण कंजंक्टिवाइटिस हैं, जो दवा से जल्दी ठीक हो जाते हैं. हालांकि, कुछ मामलों में, रेटिना पर वायरस का प्रभाव दिखता है. ये आंखों की रोशनी पर असर डाल सकता है.’

रेटिना पर वायरस का असर
डॉक्टर वानुली बाजपेयी ने आगे बताया, ‘कई बार आखों की रेटिना की धमनियों में ब्लॉकेज हो जाते हैं. इससे आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा बना रहता है. लिहाज़ा ऐसे मामलों में इलाज की जरूरत पड़ती है. इतना ही नहीं ऐसे केस में कुछ लोग पूरी तरह ठीक हो जाते हैं. जबकि कुछ लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती है.’

आंखों पर ब्लैक फंगस का खतरा
डॉक्टर के मुताबिक आंखों के लिए एक और खतरा म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस है. ऐसे मामले कोरोना के कई मरीजों में देखा गया है. बाजपेयी ने बताया कि म्यूकोर्मिकोसिस कोविड रोगियों में उभरने वाली एक खरतरनाक बीमारी है. इसका आंखों पर भी असर पड़ता है. उन्होंने कहा, ‘म्यूकोर्मिकोसिस अगर दिमाग तक पहुंच जाए तो फिर मरीज़ों की मौत भी हो सकती है. कई बार लोगों को सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है. ऐसे में आंख की सर्जरी बेहद खरनाक होती है और कई बार तो पूरी आंख को हटाना पड़ता है.’

क्या है आंखों होने वाले लक्षण
बाजपेयी ने कहा, ‘कोविड से ठीक होने वाले रोगियों, खासकर अगर उन्हें मधुमेह है, तो ऐसे लोगों को म्यूकोर्मिकोसिस के सामान्य लक्षणों के बारे में जरूर बता दें. इसके लक्षण हैं- नाक में भारीपन, नाक बहना, नाक से दुर्गंध आना, नाक से खून निकलना, आंखों के आसपास या चेहरे पर सूजन. धुधंला दिखना, आंखों/नाक/चेहरे के आसपास की त्वचा के रंग में बदलाव, नाक/आंखों/चेहरे के आसपास दर्द. अगर मरीजों को ऐसे लक्षणों में से कोई भी अनुभव होता है, तो उन्हें तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.’

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