बलरामपुर: ग्रामीण अर्थव्यस्था को मजबूती प्रदान करने व लोगों की आय बढ़ाने में मनरेगा और सुराजी गांव योजना समानान्तर रूप से योगदान दे रही है। मनरेगा से जहां श्रमिकां को रोजगार मिलने के साथ-साथ स्थायी परिसम्पतियों का निर्माण होता है, वही सुराजी गांव योजना के अंतर्गत बड़े पैमाने पर ग्रामीण आबादी को गौठानों के माध्यम से आजीविका के साधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
आजीविका के केन्द्र के रूप में विकसित गौठान आर्थिक स्वालंबन के पर्याय बन कर उभर रहे हैं। इन दोनों ही योजनाओं का संयुक्त रूप से प्रभावी क्रियान्वयन कर विकासखण्ड बलरामपुर के ग्राम गिरवरगंज में मनरेगा में श्रमिकों को रोजगार व ग्रामीण महिलाओं को गौठान में आजीविका मूलक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। गिरवरगंज में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनार्न्तगत गौठान एवं चारागाह का निर्माण कार्य कराया गया है।
जहां मनरेगा श्रमिकों को रोजगार मिला और भविष्य में आजीविका सृजन के लिए स्थायी परिसंपति के रूप में गौठान का निर्माण हुआ। सर्वप्रथम मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत गिरवरगंज में गौठान निर्माण एवं चारागाह का भूमि सुधार करते हुए इसके चारों ओर सी0पी0टी0, फेंसिंग का कार्य किया गया। तत्पश्चात इसी भूमि पर मनरेगा के तहत वृक्षारोपण कराया गया और पौधों के देख-रेख की जिम्मेदारी दुर्गा महिला स्व सहायता समूह को दी गयी।
पौधों की देखभाल के लिए प्रतिमाह दुर्गा महिला स्व सहायता समूह के महिलाओं को अतिरिक्त आय प्राप्त होती है। पौधों की देखरेख के साथ-साथ महिलाएं मुख्य रूप से बाड़ी में सब्जियों की खेती कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रही हैं। मौसम के अनुरूप सब्जियों की खेती से अच्छी पैदावार होती है और खेत से ही सब्जियां बिक जाती है। सब्जियों के विक्रय से महिलाओं को लगभग 13 हजार रूपये आय प्राप्त हो रही है।
दुर्गा महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों के लिए पौधों की देखरेख व सब्जी के उत्पादन से नियमित आय के स्त्रोत का सृजन हुआ और उनके जीवन-यापन में सहारा मिला है। मनरेगा और गौठान के रूप में शासन की दो योजनाओं का लाभ इन महिलाओं को मिलने से उनमें उत्साह है और आय बढ़ने से उनकी आर्थिक चुनौतियां कम हुई हैं।
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