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FIR की कहानी: STF का दावा… सुरक्षा कारणों से बार-बार बदली जा रही थी विकास की कार…

दहशतगर्द विकास दुबे भौंती में कार पलटने के बाद पीछे वाले दरवाजे से बाहर निकला था। जब एसटीएफ ने पीछा किया, तो उसने तीन राउंड गोली चलाई थी। एक गोली सीओ एसटीएफ के सीने में लगी थी। चूंकि सीओ ने बुलेट प्रूफ जैकेट पहना हुआ था तो उनकी जान बच गई। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने छह गोलियां चलाई थीं। इसमें विकास को तीन गालियां लगीं और वह ढेर हो गया।

यह खुलासा मुठभेड़ की दर्ज कराई गई एफआईआर से हुआ है। एफआईआर सीओ एसटीएफ टीबी सिंह ने दर्ज कराई है। इसके मुताबिक बारा टोल प्लाजा क्रॉस करते ही भारी बारिश शुरू हो गई। जिस कार में विकास दुबे बैठा था, उसमें इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी, सिपाही प्रदीप कुमार, दरोगा अनूप सिंह, पंकज सिंह व एक अन्य सिपाही भी था।



मवेशियों के दाएं तरफ से आने की वजह से ड्राइवर ने गाड़ी बाएं काटी और डिवाइडर से टकराकर पलट गई। सभी पुलिस वाले अचेत अवस्था में हो गए। इस दौरान विकास दुबे ने इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी की पिस्टल छीनी और कार के पीछे वाले दरवाजे से भाग निकला।

कच्ची सड़क से खेत की तरफ विकास भाग रहा था कि पीछे से वो खुद (सीओ एसटीएफ) टीम के साथ पहुंचे। पीछा करने पर विकास ने उन पर गोलियां दागीं। एक गोली सीओ के बुलेट प्रूफ जैकेट पर लगी। इसके बाद दो गोली एसटीएफ सिपाही शिवेंद्र सिंह सेंगर और विमल कुमार को लगी। जवाबी कार्रवाई में विकास मारा गया।



इन्होंने चलाईं गोलियां
एफआईआर के अनुसार दरोगा विनोद सिंह ने सरकारी पिस्टल से एक, सिपाही विमल कुमार ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से दो और एसटीएफ के कमांडो सर्वेश ने एके-47 से तीन गोलियां चलाईं। घटनास्थल से दो खोखे बरामद हुए। दावा है कि बारिश और मिट्टी गीली होने की वजह से खोखे कहीं लापता हो गए।



गले नहीं उतर रहा कार बदलने का तर्क
एफआईआर में एसटीएफ ने दावा किया है कि सुरक्षा कारणों से विकास दुबे को एक के बाद गाड़ियां बदलकर बैठाया गया। ताकि यह न पता चले कि वो किस गाड़ी में है। वहीं कैमरे में विकास सफारी कार में बैठा नजर आया था जबकि पलटने वाली कार महिंदा की टीयूवी थी।

ऐसे में पुलिस का तर्क इसलिए नहीं हजम हो रहा कि एसटीएफ की फ्लीट में सफारी, इनोवा और एक टवेरा कार थी। हर टोल नाके और मीडिया के कैमरों में यही गाड़ियां कैद हुईं। सवाल है कि यह टीयूवी अचानक कहां से आ गई।

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