कोरबा: दीपका कोयला खदान के विस्तार का रास्ता आखिर खुल गया। मलगांव का पुराना मंदिर को तोड़ दिया गया। जानकारी मिलने पर ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त हो गया, पर पुलिस बल की मौजदूगी व लाकडाउन की वजह से विरोध नहीं कर सके। लाकडाउन समाप्त होने के बाद ग्रामीण आंदोलन कर दीपका खदान का काम बंद कराएंगे। एसईसीएल प्रबंधन ने मंदिर में स्थापित भगवान की प्रतिमा को विधि विधान से विस्थापित गांव में स्थापित कर दिया है।
साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड, एसईसीएल दीपका खदान को चालू वित्तीय वर्ष में 35 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना है। इसकी कवायद प्रबंधन ने शुरू कर दी है। ग्राम मलगांव की जमीन काफी अरसे पहले दीपका ने अधिग्रहित कर ली थी और ग्रामीणों से गांव खाली भी करा लिया थाए पर गांव के मध्य स्थित प्राचीन शिव मंदिर को तोघ्डऩे का गांव वाले विरोध कर रहे थे। आंदोलन की वजह से प्रबंधन जमीन से कोयला उत्पादन नहीं कर पा रहा था और मंदिर खदान के बीच में पहुंच गया थाए ग्रामीण लगातार मंदिर आ रहे थे। इससे दुर्घटना की भी संभावना बढ़ गई थी।
प्रबंधन ने ग्रामीणों से चर्चा कर कई बार जमीन खाली कराने का प्रयास कियाए पर सफल नहीं हो सका। बताया जा रहा है कि सोमवार को प्रबंधन ने पुलिस व सीआईएसएफ के जवानों की मौजूदगी में मंदिर को तोड़ दिया। इसकी जानकारी मिलते ही ग्रामीणों में रोष व्याप्त हो गया। मंदिर और पैतृक जमीन के मालिक जायसवाल परिवार के सदस्य तथा भू.विस्थापित संगठन दीपका के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्यामू जायसवाल ने बताया कि आस्था के इस मंदिर को जिस तरह से लाकडाउन का फायदा उठाते हुए बलपूर्वक तोड़ा गया हैए वह घोर निंदनीय है।
किसानों के मुआवजाए रोजगार बसाहट की मांग पर मंदिर को हटाने का विरोध किया जा रहा था। मंदिर में स्थापित मूर्तियों को बिना सम्मान व विधि विधान विस्थापित कर दिया गया है। लाकडाउन समाप्त होने के बाद ग्रामीणों के साथ आंदोलन कर दीपका खदान का काम बंद कराएंगे।
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