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तीसरी लहर से पहले ही मासूम हो रहे कोरोना के शिकार, दिल्ली में दो बच्चों ने दम तोड़ा

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है. वहीं तीसरी लहर को लेकर लगातार डॉक्टर-एक्सपर्ट ये कह रहे हैं कि इसका खतरा छोटे बच्चों में ज्यादा हो सकता है. लेकिन उसका असर अभी से दिखाई देने भी लगा है.

पिछले 2 दिनों में दिल्ली के अंदर कोरोना से 5 साल की परी और एक 9 साल के क्रिशु की मौत हो गई. इन दोनों बच्चों का इलाज दिल्ली के जीटीबी (गुरु तेगबहादुर) अस्पताल में चल रहा था.

उत्तर पूर्वी दिल्ली के नंदनगरी इलाके में रहने वाले प्रह्लाद और उनकी पत्नी और रिश्तेदार सदमे में है. घर में मातम छाया हुआ है. किसी को मालूम नहीं था कि उसके हंसते खेलते परिवार को कोरोना की नजर लग जाएगी. 5 साल पहले इस घर में परी ने जन्म लिया. बच्ची के पिता प्रह्लाद बताते हैं कि उनकी बेटी बिल्कुल परी जैसे थी, इसलिए उसका नाम भी परी रखा था.

प्रह्लाद ने बताया कि उसे 6 मई को जीटीबी अस्पताल में कोविड टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद एडमिट कराया गया था. छह दिन तक वह वेंटिलेटर पर रही. इलाज के दौरान बुधवार को उसकी मौत हो गई.

बुधवार को परी को सीमापुरी श्मशान में दफनाया गया है. उसका अंतिम संस्कार भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी और बच्ची के पिता प्रहलाद ने किया. जितेंन्द्र सिंह शंटी ने बताया कि अस्पताल से एक एम्बुलेंस में अमूमन एक ही डेड बॉडी आती है. लेकिन उस दिन एक एम्बुलेंस में दो डेड बॉडी देख वो हैरत में आ गए.

दूसरी तरफ उत्तर पूर्वी दिल्ली के ही दिलशाद कॉलोनी में रहने वाले शशांक शेखर ने अपने 9 साल के बच्चे को खो दिया. पिता खुद कोरोना पॉजिटिव हैं. राजीव गांधी हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा है लेकिन इस बीच गुरुवार को उनके बच्चे की कोरोना से मौत हो गई.

परिवार वाले बताते हैं कि बुधवार को अचानक से क्रिशु की तबीयत बिगड़ी उसके बाद उसको जीटीबी अस्पताल में एडमिट कराया. जहां गुरुवार सुबह उसकी मौत हो गई है.

जीटीबी अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों बच्चों के ऑक्सीजन लेवल 30 से नीचे पहुंच गया था और लंग्स में इन्फक्शन काफी ज्यादा आ गया था. जिसके कारण उनको बचाना मुश्किल हो गया.

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