कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों को लगा तगड़ा झटका… कोरोना काल में फीस तो कम मिली ही… बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूलों के बच्चे सरकारी में पहुंचे…

कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों को तगड़ा झटका लगा है। एक के बाद एक लॉकडाउन, उसके बाद सख्त कोरोना प्रोटोकॉल से छोटे-बड़े कारोबारियों, नौकरीपेशा और रोज कमाने-खाने वालों की आय ऐसी गड़बड़ाई कि छोटे निजी स्कूलों पर इसका गंभीर असर पड़ा।
क्योंकि बड़ी संख्या में लोग पूरी फीस अदा नहीं कर सके। इसके बाद हजारों लोगों ने बच्चों को प्राइवेट से निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिल करवा दिया। केवल रायपुर में ही इस साल सरकारी स्कूलों में 20 हजार से ज्यादा बच्चे बढ़े हैं, जिनमें से अधिकांश निजी स्कूलों से पहुंचे हैं। नतीजा यह हुआ है कि फीस नहीं मिलने से गड़बड़ाई आर्थिक स्थिति और फिर एडमिशन नहीं होने की मार छोटे निजी स्कूल झेल नहीं पाए और प्रदेश में अब तक ऐसे 333 प्राइवेट स्कूलों पर ताला लग चुका है।
राजधानी में सबसे अधिक 55 निजी स्कूल बंद हुए हैं। हालांकि नए स्कूल खुले हैं, लेकिन इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम है। बंद होने वाले स्कूलों में हिंदी और इंग्लिश दोनों हैं। पड़ताल में पता चला है कि शिक्षा सत्र 2020-21 में 202 और 2021-22 में 131 प्राइवेट स्कूल बंद हुए हैं।
कोरोना संक्रमण की वजह से मार्च 2020 में लॉकडाउन लगाया गया था। उसके बाद से कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बना हुआ था इस वजह से स्कूलों में ऑफलाइन पढ़ाई बंद रही। इसका असर एडमिशन पर पड़ा। जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या पहले ही कम थी, वहां एडमिशन और कम हुए। यही नहीं, ऑनलाइन क्लासेस की वजह से फीस का भी गणित गड़बड़ाया। शासन ने अगस्त 2021 में ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने की अनुमति दी।
इससे पहले दाखिले का समय खत्म हो गया था। इस वजह से बच्चों की फीस को लेकर विवाद हुआ। 2021-22 का शिक्षा सत्र जब शुरू हुआ तब कोरोना संक्रमण की गाइड लाइन के तहत स्कूल बंद थे। ऑनलाइन पढ़ाई करायी जा रही थी।
इस वजह से इस सत्र में भी एडमिशन का गणित गड़बड़ाया इससे निजी स्कूलों की हालत खराब हो गई। पिछले दो साल में जो निजी स्कूल बंद हुए हैं उनमें ज्यादातर प्राइमरी व मिडिल स्कूल हैं। जानकारी के मुताबिक निजी स्कूलों के बंद होने से वहां पढ़ने वाले छात्र आस-पास के सरकारी स्कूल गए या फिर दूसरे निजी स्कूल में।
पहले सरकारी स्कूलों में छात्रों की कमी थी, अब 20 हजार बढ़े
कुछ साल पहले तक जिन सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही थी, कोरोना काल में वहां छात्रों की संख्या बढ़ी है। शिक्षा सत्र 2020-21 के तहत रायपुर जिले के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या 2.21 लाख थी। 2021-22 में इन स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़कर 2.41 लाख हो गई।
जानकारों का कहना है कि कोरोना काल में पालकों की आर्थिक स्थिति खराब हुई। इससे पालक बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेज रहे। लंबे समय तक स्कूलों में ऑफलाइन पढ़ाई बंद रही, ऑनलाइन पढ़ाई हुई। पालकों का यह मानना था कि जब ऑनलाइन क्लास तो पैसे क्यों खर्च करें। सरकारी इंग्लिश मीडियम ने भी प्रभावित किया। इसलिए यहां प्रवेश को लेकर होड़ मची रही।
रायपुर में 55 बंद, 41 स्कूल नए खुले
दो साल में रायपुर में 55 निजी स्कूल बंद हुए, जबकि 41 नए निजी स्कूल खोले भी गए। इसी तरह दुर्ग में 42, कवर्धा में 15, रायगढ़ में 17 और धमतरी में 11 स्कूल बंद हुए, जबकि दुर्ग में 13, कवर्धा में एक, रायगढ़ में 6 और धमतरी में 3 नए खोले गए।
जब आर्थिक स्थिति बिगड़ी, तब बंद
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि कोरोनाकाल में बड़ी संख्या में निजी स्कूल बंद हुए। बंद होने वालों में ज्यादा छोटे स्कूल हैं, इनकी आर्थिक स्थिति खराब होने से स्कूलों को बंद करना पड़ा, जो अच्छा नहीं है।