कोरोना संक्रमण के बीच सिस्टम की लापरवाही से छत्तीसगढ़ में लोग और वॉरियर दोनों दम तोड़ रहे हैं। जांजगीर में वैक्सीनेशन के 11 दिन बाद कोरोना संक्रमण से एक किसान की मौत हो गई। इसके 6 दिन बाद ही वैक्सीन लगाने वाली नर्स ने भी दम तोड़ दिया। उसकी रिपोर्ट भी मौत से 4 दिन पहले पॉजिटिव आई थी। किसान के परिजनों का दावा है कि नर्स पहले से पॉजिटिव थी। हालांकि स्वास्थ्य विभाग इससे इनकार कर रहा है।
स्थानीय निवासी चेतन प्रसाद तिवारी खेती-किसानी और पंडिताई का काम करते थे। उन्होंने 11 अप्रैल को बलौदा के ग्राम जर्वे के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में देवरहा पिसौद निवासी नर्स द्रोपदी तिवारी (61) से वैक्सीन लगवाई। इसके 5 दिन बाद 16 अप्रैल को चेतन को बुखार आ गया। टेस्ट कराने पर उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन तकलीफ बढ़ने पर बिलासपुर लेकर आए। यहां 22 अप्रैल को उनकी मौत हो गई।
16 अप्रैल को नर्स ने वैक्सीन लगवाई, 12 दिन बाद उसकी भी मौत
चेतन को वैक्सीन लगाने वाली नर्स द्रोपदी तिवारी ने भी 16 अप्रैल को टीक लगवाया था। इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई। दिक्कत बढ़ने पर उन्होंने 24 अप्रैल को एंटीजन टेस्ट कराया, जिसमें उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद उन्हें ECTC लेकर गए, पर बेड खाली नहीं होने के कारण भर्ती नहीं किया जा सका। इसके बाद उन्हें महुदा के कोविड केयर सेंटर भेज दिया गया। वहां से 28 अप्रैल को फिर ECTC भेजा गया, लेकिन मौत हो गई।
परिजनों का आरोप- नर्स पॉजिटिव थी, उनसे ही चेतन संक्रमित हुए
वहीं दूसरी ओर चेतन प्रसाद तिवारी के परिजनों ने आरोप लगाया है कि नर्स पहले से पॉजिटिव थी। उसके कारण ही चेतन भी संक्रमित हुए थे। चेतन के बेटे प्रियांश तिवारी ने सवाल उठाया है कि जो नर्स टीका लगा रही थी, उसका पहले कोविड टेस्ट किया गया था। जिस दिन उनके पिता को वैक्सीन लगाई गई, उस दिन नर्स संक्रमित नहीं थी, इसकी क्या गारंटी है। यह लापरवाही है। उन्होंने प्रशासन से मामले की जांच के लिए टीम बनाने की मांग की है।
अफसर बोले- स्वास्थ्य कर्मचारियों का हर 15 दिन में होता है कोविड टेस्ट
कोविड केयर सेंटर, महुदा के डॉ. रामायण सिंह का कहना है कि जब नर्स को अस्पताल लाया गया तो उनका ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल 40 था। हालत गंभीर थी। यह हो सकता है कि नर्स वैक्सीन लगाने के दौरान संक्रमित हो, या फिर मरीज के संपर्क में आने के बाद हुई हो। वहीं बलौदा के BMO श्रीकेश गुप्ता कहते हैं कि हर 15 दिन में स्वास्थ्य कर्मचारियों का एंटीजन टेस्ट कराया जाता है। यह संभावना कम होती है कि ड्यूटी के दौरान वह पॉजिटिव हो।
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