रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में ओम प्रकाश चौहान लैब टेक्नीशियन का काम कर रहे थे। कोरोना की सैंपलिंग और टेस्टिंग टीम से जुड़ कर काम कर रहे ओम खुद कोरोना संक्रमित हुए। इलाज के लिए अंबेडकर अस्पताल में ही वेंटिलेटर बेड इन्हें नहीं मिला, स्ट्रेचर पर पड़े-पड़े युवक ने दम तोड़ दिया। अब मौत के 10 बाद भी डेथ सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। ओम का भाई विवेक चौहान चेहरे पर मायूसी लिए जिला चिकित्सा अधिकारी, अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर्स, नगर निगम के महापौर के पास जाकर अपने भाई के डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की मांग कर चुका है। हर जगह से ऐसी ही जवाब मिलते हैं – हम से न हो पाएगा, यहां नहीं बनेगा, हम कैसे बना देंगे?
मौत के बाद भी परेशानी खत्म नहीं हुई
पिछले तीन महीने से अंबेडकर अस्पताल की लैब में काम कर रहे ओम प्रकाश को सैलेरी नहीं मिली थी। कोविड काल में पैसों की फिक्र छोड़कर ओम प्रकाश अपने काम पर बना हुआ था। 12 तारीख को संक्रमित होने के बाद अंबेडकर अस्पताल में बेड खाली न होने की वजह से उसे सेजबहार के एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया। वहां तबीयत बिगड़ने पर ओम के भाई विवेक ने 17 तारीख को फिर से अंबेडकर अस्पताल में डॉक्टर निकिता से बात की। डॉक्टर निकिता ने कहा कि वेंटिलेटर खाली है आ जाओ। विवेक अपने भाई को लेकर जैसे ही अस्पताल में पहुंचा तब कहा गया कि वेंटिलेटर खाली नहीं है।
पूरे कैंपस में विवेक करीब 1 घंटे तक विवेक ग्राउंड फ्लोर, कभी सेकंड फ्लोर तक भागा, अलग-अलग अधिकारियों के चेंबर में गया कोई देखने तक नहीं आया। दूसरी तरफ अस्पताल कैंपस में ही स्ट्रेचर पर पड़े-पड़े ओम प्रकाश की मौत हो गई। मौत के बाद अस्पताल की तरफ से विवेक को कह दिया गया कि जब वो वहां एडमिट ही नहीं हुआ तो सर्टिफिकेट कैसे दे दें। तब से विवेक अपने भाई के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भटक रहे हैं। अब तक किसी ने तरस खाकर भी इनकी परेशानी का कोई हल नहीं किया है।
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