जगदलपुर: लगभग पांच महीने की गर्भवती महिला सामान्य सोनोग्राफी जांच हेतु महारानी अस्पताल 23 अप्रैल को आई थी। सोनोग्राफी की जांच करते हुए रेडियोलॉजिस्ट डॉ मनीष मेश्राम ने यह पाया कि बच्चे की दोनो हाथ और दोनो पैरों का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाया है, केवल दोनो हथेलियां तथा दोनो पैरों के पद ही बन पाए है। इस प्रकार की विकृति को चिकित्सकीय भाषा में फोकोमेलिया (क्कद्धशष्शद्वद्गद्यद्बड्ड) कहा जाता है।
गर्भावस्था के दौरान बनने वाले बच्चों में पाई जाने वाली यह एक प्रकार की यह एक अत्यंत ही दुर्लभ विकृति है। पूर्व में किए गए शोध के अनुसार प्रति 1 लाख जीवित पैदा हुए बच्चो में केवल 3-4 बच्चों में ही इस प्रकार की विकृति होने की संभावना होती है।
इसके अलावा बच्चे में एक दूसरे प्रकार की भी विकृति पाई गई जिसमे बच्चे के खोपड़ी के अंदर और हृदय की परिधि में पानी भरा हुआ पाया गया। इस प्रकार की विकृति को चिकित्सकीय भाषा में हाइड्रॉप्स फेटालिस (॥4स्रह्म्शश्चह्य स्नद्गह्लड्डद्यद्बह्य) कहते हैं।
उपरोक्त दोनो प्रकार की विकृति को सर्व प्रथम रेडियोलॉजिस्ट डॉ मनीष मेश्राम द्वारा पहचाना गया, साथ ही वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ गोविंद सिंह द्वारा भी उपरोक्त विकृतियों का सही होना पाया गया। डॉ मेश्राम पिछले एक वर्ष से रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते मेडिकल कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहे थे
जहा उन्होंने 1 वर्ष में लगभग 3000 सीटी स्कैन का निरीक्षण तथा रिपोर्टिंग अकेले ही कर दिखाया एवम डिमरपाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सीटी स्कैन तथा सोनोग्राफी द्वारा रक्त के नसों की जांच करने जैसी बहुमूल्य स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई। उन्हे अब सिविल सर्जन डॉ संजय प्रसाद ने मौजूदा कलेक्टर रजत बंसल के अनुमोदन द्वारा वापस महारानी अस्पताल में सेवा देने हेतु बुला लिया गया है जो यहां भी मरीजों के लिए लाभप्रद होता दिख रहा है।
डॉ मेश्राम ने बताया कि अब तक मिली जानकारी अनुसार पूरे बस्तर संभाग में यह अब तक का अनुमानत: पहला प्रकरण है। उपरोक्त विकृतियों के साथ बच्चे का सामान्य विकास संभव नहीं था। अगर जांच नही हो पाती एवम गर्भावस्था आगे बढ़ती तो यह माता के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता था एवम ऑपरेशन द्वारा बच्चे को निकालने की स्तिथि बन जाती।
विश्व में उचित समय में पता नही चल पाने के कारण फोकोमेलिया से ग्रसित जीवित बच्चो का जन्म भी हुआ है किंतु उनका जीवन काफी कष्टपूर्ण एवम असामान्य होता है। महारानी अस्पताल में समय रहते जांच हो जाने से रेडियोलॉजिस्ट एवम स्त्री रोग चिकित्सको के परामर्श के पश्चात गर्भ को रोक देना सुनिश्चित कर दिया गया एवम मरीज को स्तिथि की गंभीरता के बारे में पूरी बात बता दी गई ।
इसी तारतम्य में डॉ गोविंद सिंह द्वारा बताया गया की इस प्रकार से चिकित्सकीय परामर्श द्वारा गर्भवती महिलाओं को सोनोग्राफी या अन्य जांच करवानी चाहिए ताकि जच्चा एवम बच्चा दोनो के स्वास्थ्य की स्तिथि की जानकारी समय समय पर मिलती रहे।
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