कोरबा. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरबा (Korba) में एक किशोरी बालिका वधू बनने से बच गई. परिजनों को दी गई समझाइश के बाद शादी रोक दी गई है. बारात पहुंचने से पहले महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने चाइल्ड लाइन व पुलिस के साथ सयुंक्त रूप से पहुंचकर बाल विवाह होने से रोक दिया.
दरअसल पूरा मामला पाली थाना क्षेत्र के ग्राम उड़ता का है. परिजन लॉकडाउन में साढ़े 17 वर्षीय किशोरी की कसईपाली के युवक से शादी तय कर दिए थे. बीते 25 अप्रैल को बारात आने वाली थी, जिसकी सूचना डायल 112 के माधयम से पाली परियोजना की अधिकारी दीप्ती पटेल को मिली. तत्काल प्रकरण में गंभीरता दिखाते हुए सेक्टर पर्येवेक्षक अनुपमा अग्रवाल को चाइल्ड लाइन के कर्मचारियों उमा प्रजापति व पाली पुलिस के साथ कार्यवाही के लिए भेजा.
टीम उड़ता पहुंची जहां उन्होंने देखा की विवाह की पूरी तैयारी हो चुकी थी. बारात पहुंचने से पहले पुलिस व प्रशासन के अधिकारियो को देखकर परिजन के होश उड़ गए. अधिकारियों ने किशोरी की आयु पर संदेह जताते हुए आयु प्रमाण पत्र के लिए अंकसूची दिखाए जाने की बात कही, जिसमे कक्षा दसवीं की अंकसूची में 23 नवंबर 2003 दर्ज था. उसके बालिग होने में पांच माह बाकी है.
दिया बाल विवाह करार
टीम ने तत्काल इसे बाल विवाह करार देते हुए शादी पर रोकने की बात कही. टीम ने बाल विवाह के लिए बनाए गए कानून व सजा से अवगत कराया. जिस पर परिजनों ने 18 वर्ष पूर्ण होने के बाद किशोरी का विवाह करने सहमति जताई. परिजनों से शपथ पत्र भरवाया गया. बारात को आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा. अधिकारियों की सतर्कता से कोरोना संक्रमण काल और लॉक डाउन के इस मुशिकल दौर में बाल विवाह रोकने में सफलता हासिल की है.
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