कोरोना संक्रमितों को छत्तीसगढ़ का भिलाई इस्पात संयंत्र रोजाना 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है. ऐसे वक्त में भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे. इसके बाद टूल डाउन कर आंदोलन करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ प्रबंधन द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है.
प्रबंधन के अनुसार, कुछ कार्मिकों ने एसटीजी 4 के कंट्रोल रूम के अंदर घुसकर स्टीम टर्बो जनरेटर 4 ईकाई का पूरा ऑपरेशन जबरदस्ती बंद कर दिया था. बॉयलर प्रेशर बढ़ जाने की वजह से स्टीम टर्बो जनरेटर शटडाउन हो गया. इसके सभी सेफ्टी वॉल खुल गए. इसके कारण 22.5 मेगा वॉट पावर जनरेशन बंद हो गया. एसटीजी 4 के बंद हो जाने से ऑक्सीजन प्लांट में बिजली आपूर्ति ठप हो जाती, लेकिन समय रहते उचित कदम उठा लिया गया. इसे बेहद ही गंभीरता से लेते हुए संयंत्र प्रबंधन ने कडा रूख अपनाते हुए कार्रवाई की है.
इस कार्रवाई के तहत 4 कार्मिकों के खिलाफ एफआईआर करने पुलिस को पत्र लिखा गया है. वहीं 13 कार्मिकों को सस्पेंड किया गया है. इसके अतिरिक्त 19 कार्मिकों को शोकॉज नोटिस जारी किया गया है. कोविड 19 की राष्ट्रीय आपदा के दौरान कार्मिकों की इस तरह की हड़ताल को प्रबंधन ने गंभीरता से लेते हुए अनुशास्नात्मक कार्रवाई की है.
बड़ा संकट टला:
एसटीजी-4 के बंद होने से संयंत्र में सुरक्षा का संकट खड़ा होने की संभावना थी. यदि सेफ्टीवॉल समय पर नहीं खुलते तो ब्लास्ट फर्नेस को जाने वाले स्टीम पाइप लाइन के फटने की संभावना बन जाती है, जिससे ब्लास्ट फर्नेस-5, ब्लास्ट फर्नेस-7 तथा ब्लास्ट फर्नेस-8 के बंद होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती और भयंकर रूप से उत्पादन प्रभावित होने के साथ ही जान-माल की हानि भी होने की संभावना थी, लेकिन समय रहते इसे संभाल लिया गया.
कार्मिकों ने अपनी मांगे मनवाने गलत समय का चयन किया
जब पूरे देश में कोरोना का संकट चल रहा ऑक्सीजन की पूरे देश से डिमांड आ रही है. अस्पतालों में मरीज तड़प रहे है. ऐसे वक्त में लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की कोशिश किया जाना बेहद शर्मनाक है. इसी को दृष्टिगत रखते हुए भिलाई इस्पात संयंत्र ने इन कार्मिकों पर विभागीय कार्रवाई करने के साथ ही इन पर कानूनी कार्रवाई करने हेतु पुलिस में भी शिकायत की है, जिससे कोविड मरीजों की सुरक्षा से लेकर संयंत्र के अन्य कार्मिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके.
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